हमारे ब्रह्मांड में बहुत कुछ ऐसा है जो इस कदर जटिल, विराट और रहस्यमय है कि जिसके होने की हम कल्पना भी नहीं कर सकते जबकि वास्तविकता में उसका अस्तित्व है। प्रकृति की ऐसी ही एक अजीबोगरीब रचना है- Black Hole । Black Hole के बारे में हर दिन नए-नए खुलासे होते रहते हैं। हाल ही में चीन के नेशनल एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जर्वेटरी के वैज्ञानिकों की एक अंतराष्ट्रीय टीम ने हमारी आकाशगंगा मिल्की-वे में सूर्य से 70 गुना बड़े ‘LB-1’ नामक Black Hole की खोज की है! इस खोज ने तारों की उत्पति की व्याख्या करने वाले मौजूदा मॉडल को चुनौती दे दी है। तो नमस्कार दोस्तों आज के लेख में हम जानेंगे सूर्य से 70 गुना विशाल Black Hole की खोज में जिसने वैज्ञानिको को भी हैरान कर रखा है |
LB-1 Black hole जिसने वैज्ञानिको को हैरान कर रखा है | Stellar Black Hole LB-1 Discovery
दरअसल, अब तक आमतौर पर वैज्ञानिकों का यह मानना था कि एक Stellar Black hole का Mass सूर्य से 20 गुना से ज्यादा नहीं हो सकता है। जबकि हालिया खोजे गए इस Black Hole का द्रव्यमान हमारे सूर्य से तकरीबन 70 गुना ज्यादा है! पृथ्वी से इसकी दूरी 15 हजार प्रकाश वर्ष है। इस खोज का खुलासा साइंस जर्नल नेचर में किया गया है। Stellar Black Hole का निर्माण तब होता है जब बड़े तारों का हाइड्रोजन और हीलियम रूपी ईंधन खत्म हो जाता है, उसके बाद तारों में सुपरनोवा विस्फोट होता है, जिससे उन्हें फैलाकर रखने वाली ऊर्जा भी खत्म हो जाती है और वे अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण के कारण सिकुड़कर बेहद घने पिंड बन जाते हैं। Black Hole इतने घने होते हैं कि इनसे प्रकाश की किरणे भी नहीं निकल सकती हैं।
क्यों खास है यह Black Hole | How LB-1 Black Hole is Different
सूर्य से 70 गुने बड़े इस Black Hole की खोज का नेतृत्व करने वाले चीन के नेशनल एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जर्वेटरी के प्रोफेसर लियु जिफेंग के मुताबिक, “आकाशगंगा में 10 करोड़ Black Hole होने का अनुमान है लेकिन वैज्ञानिकों ने जितना अंदाजा लगाया था, Black Hole LB-1 उससे दोगुना बड़ा है। तारों के विकास के अधिकांश वर्तमान मॉडल के अनुसार ऐसे आकार का Black Hole हमारी आकाशगंगा में मौजूद नहीं होना चाहिए। हालांकि वैज्ञानिकों का पहले यह मानना था कि आकाशगंगा में मौजूद बड़े तारों ने अपने अधिकांश गैस को आवेशित कणों के माध्यम से बहाया। इससे Black Hole LB-1 जैसे आकार का ब्लैक-होल नहीं बना। अब वैज्ञानिकों को इसके निर्माण के बारे में बताने की चुनौती लेनी होगी।”
Stellar Black Hole आमतौर पर सुपरनोवा विस्फोटों के बाद बनते हैं। यह घटना तब होती है जब बड़े तारे खत्म होने के कगार पर होते हैं और तेजी से जलते हैं। Black Hole LB-1 का बड़ा आकार ‘पेयर इंस्टैबिलिटी गैप’ के रूप में जाना जाता है, जहां सुपरनोवा इसे नहीं बना सकती। इसका मतलब यह है कि यह अलग तरह का Black Hole है। किसी दूसरी प्रक्रिया से इसका निर्माण हुआ है!
कैसे की गयी इस Black Hole की खोज | How LB-1 Stellar Black Hole was Discovered
Black Hole LB-1 की खोज वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने चीन के जटिल लैमोस्ट टेलीस्कोप का उपयोग करके की है। इसके साथ ही दुनिया के दो अन्य बड़े ऑप्टिकल टेलीस्कोपो ने LB-1 के आकार की पुष्टि की। इसमें एक स्पेन का ग्रान टेलीस्कोपियो कैनेरिया और अमेरिका का केक्क आई टेलिस्कोप शामिल है।
वैज्ञानिकों ने Black Hole से निकलने वाली एक्स-रे किरणों का पता लगाकर इसकी खोज करने की कोशिश की। लेकिन लियु जिफेंग के मुताबिक, इस तरीके का सीमित इस्तेमाल ही किया जा सकता है क्योंकि काफी कम संख्या में ऐसे Black Hole सिस्टम हैं जहां उनके आसपास के तारों की कक्षाएं उनके समीप हो और उनसे पहचान किए जाने वाले एक्स-रे का उत्सर्जन होता हो। उन्होंने बताया कि इसकी जगह Black Hole LB-1 की खोज करने वाली टीम ने Black Hole की पहचान से पहले आसपास बड़ी संख्या में मौजूद तारों की गति का लंबे समय तक निरीक्षण किया। बहुत ज्यादा सफल उपकरण नहीं होने के बावजूद इस पद्धति का उपयोग दशकों तक किया गया।
उत्तरी चीन के हेबेई प्रांत में 2001 और 2008 के बीच निर्मित लैमोस्ट के माध्यम से रिसर्चर एक साथ 4,000 तारों का पता लगा सकते हैं। इस वजह से यह दुनिया के सबसे शक्तिशाली ग्राउंड-आधारित दूरबीनों में से एक है। लियु ने कहा कि जिस पद्धति के माध्यम से Black Hole LB-1 की खोज की गई है, यह भविष्य में अन्य दूसरे Black Hole का पता लगाने में मददगार साबित होगी। हमारी आकाशगंगा में 10 करोड़ Black Hole होने का अनुमान है लेकिन सिर्फ 4000 ही एक्स-रे उत्सर्जित कर सकते हैं और अब हम इनके बारे में हम पता लगा सकते हैं। बहरहाल, वैज्ञानिकों के अनुसार यह खोज उन्हें Black Hole बनने के मॉडल की दुबारा जाँच करने की चुनौती पेश करता है।