दोस्तों 1970 के दशक तक हम इंसानो ने हमारे सौरमंडल के लगभग सभी Inner Planets तक अपनी Missions भेज दिए थे | पर अभी भी हमारे सौरमंडल के outer planets और उनके Moons के बारे में हमारी जानकारी बेहद ही कम थी | ऐसे में NASA ने ऐसे मिशनों पर काम करना शुरू किया जो की हमारे सौरमंडल के outer planets के Flyby को अंजाम देकर इनके बारे में जरुरी जानकारिया जुटा सके |
कैसिनी का शनि ग्रह का सफर और खोजे | NASA Cassini Huygens Mission to Saturn Hindi
वायेजर , पायनीर मिशन और सौरमंडल | Voyager and Pioneer Mission Solar System Exploration
और यही से जन्म हुआ Pioneer और Voyager मिशनों का, जिन्हे Space Exploration के छेत्र में सबसे महत्वपूर्ण मिशनों में से एक माना जाता है | इन मिशनों ने हमारे सौरमंडल के कई outer planets के पहले Flyby को अंजाम दिया ,जिन्होंने इन ग्रहो के बारे में हमारी जानकारियों को कई गुना बढ़ने का कम किया |
1980 के दशक में Pioneer 11 , Voyager 1 और Voyager 2 मिशनों ने हमारे सौरमंडल के सबसे खूबसूरत ग्रह कहे जाने वाले Saturn Planet के पहले Flyby को अंजाम दिया | इस दौरान इन मिशनों ने इसके Atmosphere , Surface और इसके सबसे बड़े Moon Titan के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारिया और तस्वीरें धरती तक भेजी |
इन मिशनों द्वारा जुटाई गयी जानकारियों से यह साफ़ हो गया था की हमें शनि ग्रह और उसके Moons का और करीबी से अध्यन करने की जरुरत है , जिसके लिए हमें इस Planet पर एक Separate Mission भेजना होगा | और यही से जन्म हुआ मानव इतिहास के सबसे सफल और महत्वकांशी Interplanetary Mission – Cassini Huygens का |
इस Mission ने दशकों तक अपनी खोजो से शनि ग्रह , उसके Rings और उसके Moons को देखने का हमारा नजरिया हमेशा के लिए बदल दिया | ऐसे में आज हम एक सफर में चलेंगे जहा हम Cassini Huygens Mission के साथ शनि ग्रह और उसके Moons की एक अनोखी यात्रा करेंगे |
शनि ग्रह पर Mission की जरुरत | Need of Separate Mission to Saturn System
1980 के दशक में Pioneer 11 , Voyager 1 और Voyager 2 मिशनों ने जब शनि ग्रह के Flyby को अंजाम दिया तो उन्हें इस Planetary System में एक mini Solar System नज़र आया | शुरूआती जानकारियों से हमें इस Planet और उसके Moons खासकर Titan को लेकर कई अनोखी और जानकारियों का पता चला |
पर Flyby Missions होने के कारण वैज्ञानिको को इस Planetary System का अध्यन करने के लिए बेहद ही कम समय मिला | वही वैज्ञानिको का मानना था की अगर हम इस ग्रह पर कोई Separate Orbiter Mission भेज सके तो हम इस ग्रह और उसके Moons का कई सालो तक करीबी से अध्यन कर सकते है |
Cassini Mission की शुरुआत | Start of Work on Cassini Mission
ऐसे में जब 1982 में European Science Foundation और American National Academy of Sciences ने भविस्य में दोनों ही Space Agencies के बीच Joint Space Missions के सम्भावनाओ को तलाशने के लिए एक Working Group की स्थापना हुई |
तब इस Group में मौजूद कुछ वैज्ञानिको ने Joint Mission के अंतर्गत एक Paired Saturn Orbiter और Titan Probe का सुझाव दिया | दोनों ही Space Agencies को यह Idea काफी पसंद आया जिसके बाद उन्होंने ऐसे किसी सभावित Mission को लेकर एक Joint Study शुरू किया जो की 1986 तक चला |
और आखिरकार 1988 में इस Mission पर आधिकारिक रूप से काम भी शुरू हो गया | यह एक Joint Space Mission होने वाला था जिसमे अमेरिकी Space Agency NASA , European Space Agency ESA और Italian Space Agency शामिल थी | जहा NASA – Saturn और उसके Moons का अध्यन करने में सक्षम एक Nuclear Powered Orbiter पर काम कर रहा था | वही European Space Agency , Saturn के सबसे बड़े Moon – Titan का अध्यन और उसपर Land करने में सक्षम एक Probe पर काम कर रहा था |
Cassini Orbiter
Cassini mission को उस समय के सबसे complex mission के तौर पर जाना जाता है जिसका मुख्य कारण था इसका बेहद ही complex design | इस spacecraft में कुल 1,630 interconnected electronic components, 22,000 wire connections, और 14 kilometers cables मौजूद था | Cassini Orbiter करीब 7 मीटर लम्बा और 4 मीटर चौड़ा Spacecraft था जिसका कुल वजन 2,150 किलोग्राम था | इस Spacecraft में कुल 12 scientific instruments मौजूद थे जिनका मुख्य मकशद शनि ग्रह के atmosphere , composition , rings और moons का अध्यन करना था |
Huygens Probe
वही European Space Agency का Huygens एक तीन मीटर चौड़ा Probe था जिसका वजन करीब 320 किलोग्राम था | इसमें कुल 6 scientific instruments मौजूद थे जिनका मुख्य मकशद शनि ग्रह के moon – Titan के atmosphere , composition , hydrocarbon lakes और surface का अध्यन करना था |
Power Supply and Energy
इस विशालकाय Spacecraft को Power देने की लिए इसमें लगभग 38 Kilogram – Plutonium 238 मौजूद था | इसमें मौजूद System – Radioactive Material के Decay होने के बाद निकलने वाले Heat को Electricity में बदलता था जिससे इसके सभी Instruments को power मिलता था | वही Huygens Probe में chemical batteries भी मौजूद थे जो की Cassini से अलग होने के बाद इसे power देने के लिए लगाए गए थे |
इसके Development के दौरान दोनों ही Space Agencies को कभी इसके 3.3 Billion Dollar के price tag , तो कभी इसके Nuclear Fuel को लेकर कई मुशीबतों का सामना करना पड़ा था | पर आखिरकार 1997 को यह Spacecraft Launch के लिए तैयार हो गया |
Cassini मिशन का शनि ग्रह तक का सफर | Cassini Mission Journey to Saturn
Launch of Cassini Mission
5 October 1997 को Cassini – Huygens Mission को Titan 4-B/Centaur Rocket के जरिये Launch किया गया | यह एक बेहद ही वजनी Spacecraft था जिसका वजन करीब 5600 किलोग्राम था |
ऐसे में उस समय मौजूद Technology के जरिये इसे सीधे शनि ग्रह तक भेज पाना बेहद ही मुश्किल था | ऐसे में वैज्ञानिको ने Gravity Assist या Flybys तकनीक का उपयोग करने का फैसला किया जिसके अंतर्गत यह Spacecraft दूसरे ग्रहो के gravity का उपयोग कर अपने Speed को बढाकर शनि ग्रह तक का सफर तय करता |
Gravity Assists by Cassini Probe
1998 से लेकर 1999 के दौरान इस Spacecraft ने दो बार Venus ग्रह और एक बार हमारे पृथ्वी ग्रह के Flyby को अंजाम दिया | जिसके बाद जाकर आखिरकार इस Spacecraft के पास इतना orbital momentum आ चूका था की यह Outer Solar System के ग्रहो तक का अपना सफर शुरू कर सके |
अपने last gravity assist के दौरान यह 30 दिसंबर सन 2000 को Jupiter ग्रह के Orbit से होकर गुजरा जिस दौरान इसे शनि ग्रह के सफर के लिए जरुरी Final thrust मिल चूका था | शनि ग्रह के orbit में दाखिल होने से पहले ही इसने शनि ग्रह का अध्यन करना शुरू कर दिया था और इस दौरान इसने अप्रैल 2004 में शनि ग्रह पर उठने वाले विशालकाय तुफानो का अध्यन किया और साथ ही मई 2004 में इसके 2 नए Moons की भी खोज की |
Cassini Entering in Saturn Orbit
जिसके बाद आखिरकार करीब 7 सालो के लम्बे सफर और ढेर सारे Gravity Assists के बाद Cassini Spacecraft जुलाई 2004 में शनि ग्रह के orbit में दाखिल हुआ | जिसके साथ ही यह शनि ग्रह को Orbit करने वाला पहला Spacecraft भी बन गया | शनि ग्रह के Orbit में दाखिल होने के साथ ही इसका Primary Scientific Mission भी शुरू हो गया |
Cassini द्वारा वैज्ञानिक मिशन की शुरुआत | Cassini Mission Discoveries
Titan and Huygens Probe
October 2004 में यह शनि ग्रह के सबसे बड़े Moon – Titan के करीब से होकर गुजरा जिस दौरान इसने इस Moon से जुडी कई महत्वपूर्ण जानकारिया और तस्वीरें धरती तक भेजी | जिसके बाद दिसंबर 2004 को Huygens Probe मुख्य Cassini Spacecraft से अलग हुआ और Titan Moon की ओर अपना सफर शुरू किया |
Huygens Probe Journey through Titan Atmosphere
इस Mission को इस तरह design किया गया था की यह Landing के दौरान Titan के atmosphere का करीबी से अध्यन कर सके साथ ही यह Probe Landing के बाद कुछ समय तक Titan के Surface का अध्यन करने और उसकी तस्वीरें लेने में भी सक्षम था |
करीब 22 दिनों की यात्रा के बाद 14 जनवरी 2005 को यह Probe – Titan के Dense Atmosphere में दाखिल हुआ, जिसके बाद इसका करीब 2 घंटो और 30 Minute का Descent शुरू हुआ | Descent के दौरान यह Probe – Titan के atmosphere के अलग अलग Layers से होकर गुजरा और इस दौरान इसने कई महत्वपूर्ण जानकारिया मुख्य Cassini Spacecraft के जरिये धरती तक भेजी |
Huygens Probe Landing on Titan
इस Probe को इस तरह Design किया गया था की यह Titan के Hard Surface या उसके Oceans दोनों पर Landing करने के सक्षम था | Landing के समय इसके Speed को कम करने के लिए इसमें Special Parachute भी मौजूद था | Titan के dense atmosphere से गुजरने के बाद यह आखिरकार इसके Hard Surface पर land हुआ |
इसके साथ ही यह किसी दूसरे ग्रह के Moon पर land करने वाला पहला Spacecraft बन गया | Huygens Probe – Touchdown के बाद करीब 72 minute तक Active रहा जिस दौरान यह Titan के Surface से जुडी कई तस्वीरें और जानकारिया मुख्य Spacecraft को भेजता रहा | पर इसके बाद इसका Cassini Spacecraft से संपर्क टूट गया, और Huygens Mission का अंत हो गया |
Huygens Probe Discoveries about Titan
Huygens Mission ने Titan पर मौजूद विशाल Hydrocarbon lakes और नदियों के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारिया जुटाई | साथ ही इसने Titan पर एक Active Hydrocarbon Rich Atmosphere की भी खोज की , जहा धरती की तरह ही बादल बनते है और Methane की बारिश भी होती है | साथ ही वैज्ञानिको को Titan से जुडी हुई कई और ऐसी जानकारिया मिली जो की इसे हमारे धरती से काफी Similar बनाती है | पर भले ही Huygens Mission का अंत हो गया था पर इसके मुख्य Spacecraft Cassini ने अपना सफर तो अभी शुरू ही किया था |
Cassini and Enceladus Moon Flyby
July 2005 में Cassini Spacecraft शनि ग्रह के एक और Moon – Enceladus के करीब से होकर गुजरा, इस दौरान इसने इस Moon से जुडी हुई ऐसी जानकारिया जुटाई जिसने दुनियाभर के वैज्ञानिको के होश उड़ा दिए | शुरू में माना जाता था की Enceladus एक Inactive Icy Moon है जिसका Surface कई Kilometer विशाल मोठे बर्फ से ढका हुआ है |
पर Cassini ने अपने Flyby के दौरान इसके Poles से निकलने वाले Plumes का पता लगाया | ये Plumes किसी geyser की तरह बेहद ही तेज गति से इसके Surface में मौजूद Cracks से बाहर आ रहे थे |
Cassini Mission Titan Flyby
July 2006 में Cassini फिर एकबार Titan के करीब से होकर गुजरा जिस दौरान इसने इसके Surface में मौजूद विशालकाय Lakes की खोज की जो की कई Kilometer विशाल थे | साथ ही इसने इसके Surface में Floating Hydrocarbon Rivers की भी खोज की जो की धरती पर मौजूद नदियों की ही तरह थे |
आने वाले कुछ सालो तक Cassini ऐसे ही शनि ग्रह के Rings और उसके Moons का अध्यन करता रहा जिसके बाद जाकर 2008 में इसका Primary Mission समाप्त हो गया | इसके बाद इसने Cassini Equinox के नाम से अपने 2 सालो के Extended Mission की शुरुआत की जो की 2010 तक चलता |
Cassini Mission Second Enceladus Flyby
October 2008 में Cassini ने फिर एक बार Enceladus के Flyby को अंजाम दिया | इस Flyby के दौरान यह इसके Surface से निकलने वाले Plumes से होकर गुजरा ताकि यह इसके Composition का पता लगा सके | Cassini द्वारा जुटाई गयी जानकारियों से पता चला की इन Plumes में Water vapor और Organic molecules के components मौजूद है जो की काफी बड़ी खोज थी |
इस खोज ने हमें बताया की Saturn और Jupiter ग्रह के Icy Moons हमारी सोच से कही ज्यादा Active है जिनके hard icy surface के नीचे Liquid water के oceans मौजूद हो सकते है | ऐसे में काफी सम्भावना है की इन Moons के विशाल subsurface Liquid oceans में किसी प्रकार का complex life भी मौजूद हो | इन खोजो ने इन Moons को धरती से परे जीवन मौजूद होने की race में काफी आगे लाकर खड़ा कर दिया , जहा भविष्य में किसी प्रकार की मानव बस्तिया भी बसाई जा सकती है |
Cassini Solstice Extended Mission
2010 में इसके Mission को फिर एक बार करीब सात सालो के लिए आगे बढ़ा दिया गया , जिसे Cassini Solstice नाम दिया गया | इस Extened Mission का मुख्य मकशद शनि ग्रह पर होने वाले Seasonal changes , उनके प्रभावों और शनि ग्रह के Rings का करीबी से अध्यन करना था | December 2010 में इसने शनि ग्रह के Northern hemisphere पर आये एक बेहद ही विशालकाय तूफान का पता लगाया | यह Storm करीब 15000 kilometer विशाल था जो की किसी ग्रह पर देखा गया अब तक का सबसे बड़ा तूफ़ान था |
July 2013 में Cassini ने शनि ग्रह और उसके Rings के साथ धरती की तस्वीरें ली जो की कई लाखो Kilometers की दुरी से एक Blue Dot की तरह नज़र आ रहा था | यह एक काफी Iconic तस्वीर है जिसे The Day the earth smiled के नाम से भी जाना जाता है |
इसी दौरान दिसंबर 2013 में Cassini ने शनि ग्रह के North Pole में Hexagonal Shaped Jet stream की कई high resolution तस्वीरें ली | कई तरह के Cloud Structures से बने हुए इस Jet Stream की सबसे ख़ास बात यह थी की यह एक Perfect Hexagon Shape में था जो की काफी विचित्र था |
आने वाले कुछ सालो तक Cassini ने ऐसे ही शनि ग्रह के Moons – Titan और Enceladus के कई और Close Flybys को अंजाम दिया | जिस दौरान इसने Titan और Enceladus के hydrocarbon lakes , plumes , structure , surface और composition का करीबी से अध्यन किया |
Cassini Grand Finale Mission
2016 के अंत में Cassini Spacecraft ने एक बेहद ही नए और चुनौतीपूर्ण Orbit में शनि ग्रह को Orbit करना शुरू किया जिसे Grand Finale नाम दिया गया, यह अपने आप में Cassini के लिए एक नया और बेहद ही चुनौतीपूर्ण Mission था | इसके अंतर्गत Cassini लगातार शनि ग्रह के Poles का चक्कर लगाना शुरू किया, जिसके दौरान यह इसके narrow F Rings के पास से करीब 20 बार गुजरा |
जिसके बाद Cassini Spacecraft ने शनि ग्रह के Uppermost Atmosphere और इसके Innermost Rings का करीबी से अध्यन करना शुरू किया | इस दौरान यह Spacecraft 22 बार इनके बेहद ही करीब से गुजरा, जिस दौरान इसने शनि ग्रह के Atmosphere और उसके rings के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारिया जुटाई और इसकी कई अद्भुत तस्वीरें भी ली |
इस दौरान Cassini ने शनि ग्रह के Rings के बारे में कई रोचक खुलासे किये | Spacecraft द्वारा जुटाई गयी जानकारियों से हमें पता चला की शनि ग्रह के Rings – वैज्ञानिको के अनुमान से कही ज्यादा Young है जिनका निर्माण केवल 100 Million साल पहले ही हुआ था | साथ ही Cassini ने बताया की इसका निर्माण शनि ग्रह के किसी Moon या एक विशाल Asteroid के टूटने की वजह से हुआ था |
पर सबसे चौकाने वाली बात यह थी की समय के साथ ये Rings शनि ग्रह की Gravity की वजह से ख़त्म होते जा रहे है , ऐसे में वैज्ञानिको का अनुमान है की आने वाले केवल 100 Million सालो में इन Rings का अस्तित्व ख़त्म हो जाएगा |
End Game for Cassini Mission
पर अब Cassini Mission अपने अंतिम दौर में था ,जहा इसका Fuel ख़त्म होने की कगार पर पहुंच चूका था ऐसे में वैज्ञानिको को एक बेहद ही कठिन फैसला लेना था | जैसे की हमें पता है की Cassini Spacecraft Nuclear Energy से powered था , ऐसे में अगर यह ऐसे ही शनि ग्रह का चक्कर लगाता रहता तो हो सकता है की भविस्य में यह Spacecraft अपने रास्ते से भटक कर जीवन की शंभावनाओ से भरपूर शनि ग्रह के किसी Moons से टकरा जाता |
जो की उस Moon पर मौजूद किसी प्रकार के Microbial life या Environment के लिए बेहद ही खतरनाक हो सकता था | ऐसे में वैज्ञानिको ने अपने इस प्यारे Spacecraft को शनि ग्रह के Atmosphere में हमेशा के लिए ख़त्म करने का बेहद ही कठिन फैसला लिया |
End of Cassini Mission
और आखिरकार 15 सितम्बर 2017 को Cassini Spacecraft ने शनि ग्रह की ओर अपना आखिरी सफर शुरू किया | इस समय Cassini शनि ग्रह के atmosphere में दाखिल हुआ पर कोई Scientific Mission के लिए नहीं बल्कि अपने आप को नष्ट करने के लिए | पर अपने आखिरी दौर में भी Cassini Spacecraft शनि ग्रह के atmosphere से जुडी जरुरी जानकारिया धरती तक भेजता रहा | पर आखिरकार इसका Antenna भी नष्ट हो गया और पूरा Spacecraft जलकर शनि ग्रह के Atmosphere में शमा गया बिलकुल धरती पर होने वाले Meteor Shower की तरह |
13 सालो के Scientific Mission और करीब 20 सालो तक Space में रहने के बाद इसने हमें आखिरकार अलविदा कह दिया | पर भले ही यह Spacecraft अब हमारे बीच नहीं रहा, पर इसके द्वारा जुटाई गयी जानकारिया अभी भी वैज्ञानिको के होश उडा रही है | Cassini Spacecraft ने अपने 13 सालो के Space Missions के दौरान शनि ग्रह , उसके Atmosphere , Rings और Moons के बारे में ढेर सारी जानकारिया जुटाई गयी थी जो की आने वाले कई सालो तक हमें चौकाते रहेंगे |