7 सितम्बर सन 2019 : वो तारीख जब भारत चांद पर इतिहास रचने के बेहद करीब जा पहुंचा था, मगर धरती से करीब साढ़े तीन लाख किलोमीटर दूर उस शाम चांद पर एक अनहोनी घटना ने 140 करोड़ हिंदुस्तानियों के सपनों पर पानी फेरकर रख दिया था, सालों की मेहनत और करोड़ो रुपयों को लागत वाला ये मिशन अपने अंतिम पड़ाव पर जाकर इस हादसे की भेंट चढ़ गया और बदकिस्मती से हमें इस नाकामी का सामना करना पड़ा, मगर हिंद के लोगों का जज़्बा पहाड़ से भी ऊंचा और अटल है, महज़ चार सालो के वक्त में ही भारत फिर एक बार चांद को अपनी मुट्ठी में करने के लिए तैयार है |
जी हां ये हैं ISRO का चंद्रयान 3 मिशन जो जल्द ही पृथ्वी से अपनी मंज़िल चांद की ओर जाएगा, आइए आज चंद्रयान 3 के बारे में Details के साथ जानते है, जानते है आखिर कैसे ये Spacecraft Lunar Exploration और Astronomy के क्षेत्र में नए किर्तिमान गढ़ेगा!, कैसे ISRO का ये NEXT-GENERATION MISSION अपने PREDECESSOR चंद्रयान 2 से अलग और ज्यादा कारगर होगा और इसके अलावा भी ढेर सारी बातें होंगी आज की इस विडियो में, तो नमस्कार दोस्तों आप देख रहें है रहस्य टीवी तो चलिए शुरू करते हैं.
ISRO Chandrayaan 3 Moon Mission
जैसा की आप सभी जानते है की चंद्रयान 3 ISRO के पिछले MOON MISSION चंद्रयान 2 का ही एक FOLLOW-ON MISSION हैं इसके तहत ISRO एक LANDER और एक ROVER को चांद के SOUTH POLE पर उतारना चाहता है, ये काम बेहद पेंचीदा और जटिल है चूंकि अतीत में ऐसा करने की कोशिश में कई सारे SPACEACFTS नाकाम हो चुके है फिर चाहें वो ISRAEL का Beresheet लैंडर हो या फिर एक PRIVATE JAPNESE AEROSPACE COMPANY – ispace का Hakuto-R लैंडर हो, ये दोनों ही MOON MISSION एन वक्त पर कुछ SOFTWARE GLITCHES के कारण Fail हुए | पर वहीं जहां FAILURES की मिसालें है वहीं कामयाबी की नजीरें भी मौजूद है, हाल ही मे चांद पर उतरा CHINESE LANDER – Chang’e 4 एक क्रांतिकारी मिशन साबित हुआ जिसने चांद की FAR SIDE पर उतरकर ना केवल इतिहास रचा बल्कि बहुत सारे UNIQUE EXPERIMENTS को CARRY OUT करके अपनी एक HISTORICAL PRESENCE भी NOTICE कराई!
Chandrayaan 2 Mission के साथ क्या हुआ था ? | Chandrayaan 2 Mission Failure
बात करें अगर पिछली दफा हुए चन्द्रयान 2 के Failure पर तो, 7 सितम्बर सन 2019 का ये दिन तो आपको याद ही होगा, पूरा देश अपने अपने घरों में पड़े TV Sets से चन्द्रयान 2 कि लैंडिंग का ये नज़ारा देख रहा था, वहां श्री हरिकोटा में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसरो दफ्तर में इस ऐतेहासिक घटना के साक्षी बन रहें थे, मगर लैंडिंग से चंद लम्हों पहले अचानक कुछ ऐसा हुआ जिसने हम सबका दिल तोड़कर रख दिया, इस घटना ने हमें ये ये और ये नज़ारा देखने पर मजबूर कर दिया, जी हाँ हम बात कर रहें है चन्द्रयान 2 के Lander के Failure कि, दरअसल उस शाम जब कुछ सही चल रहा था तभी अचानक Scheduled Landing time से कुछ मिनटों पहले Vikram Lander के Onboard Computer में मौजूद एक Software में Glitch आ गया |
ये Software Vikram Lander कि एक Safe और Smooth Landing के लिए बेहद ज़रूरी थी ऐसे में इसका Fail हो जाना एक बेहद बड़ी मुसीबत को दावत देना था यहां Ground Control को इस बात कि खबर कुछ देर से चली, इस Software के Malfunction करते ही Leander का Connection उपर Orbit में घूम रहें Orbiter से टूट गया नतीजन चाँद कि सतह से महज़ 2 किलोमीटर उपर हमने Vikram Lander से सम्पर्क खो दिया, और तेज़ी से Descend Perform कर रहा विक्रम बेकाबू होकर निचे चाँद कि ओर गिरने लगा, Software में हुई Problem के चलते Lander के Onboard computers ये Judge नहीं कर पाएँ कि Landing thrusters को कब कितना ज़्यादा Fire करना है और इसी Miscalculation और irregulation के चलते ये लैंडर किसी पत्थर कि तरह चाँद कि सतह से जा टकराया |
Obvisouly चाँद कि सतह से इस ज़ोरदार टककर के बाद इसे भारी Physical Damage पहुँचा होगा जिस कारण ISRO कि तमाम कोशिशों के बाद भी इससे सम्पर्क स्थापित नहीं किया जा सका, वैसे इससे contact बनाएं रख पाना भी कोई असान काम नहीं था, अब क्योंकि ISRO इसे चाँद कि FAR SIDE पर उतारना चाहता था, FAR SIDE से मेरा मलतब है चाँद का वो हिस्सा जो हमेशा अंधेरों में घिरा रहता है, जैसा कि आप जानते है कि चाँद एक tidally LOCKED SATELLITE है जिस कारण उसकी rotational velocity उसके rate of Revolution से Synchronized हैं जिसके चलते उसका एक Particular Face ही हमेशा पृथ्वी कि ओर मुड़ा रहता है, ऐसे में चाँद कि उस ओर RADIO COMMUNICATION बहाल रखना काफी झंझट का काम है |
हम सीधे ही PROBE ANTENNA कि मदद से EARTH पर बनें GROUND STATIONS तक signals नहीं भेज सकते हैं, बल्कि हमें इसके लिए एक RELLAY COMMUNICATION technique का इस्तेमाल करना पड़ता है इसके अंतर्गत LANDER पहले ORBITER को SIGNALS भेजता है और फिर वो SIGNALS AMPLIFY होकर पृथ्वी पर बनें बेहद बड़े GROUND ANTENNAS तक जाते है, हालांकी ये SYSTEM काफी RAPID होता है मगर COMMUNICATION CHANNEL में एक MEDIATION POINT होने के चलते failure और LATENCY के CHANCES बनें रहते है |
Chandrayaan 2 में एक problem सिर्फ इसका Communication system ही नहीं बल्कि इसका design भी था, 7 सितंबर को हुए failure के बाद ISRO ने एक internal investigation committee का गठन किया जिसका काम था इस mission के failure के पीछे कि असल वजहों का पता लगाना साथ ही उन गलतियों से सिख लेकर अगले MISSION में RIGHT CHANGES को apply करना |
इस TEAM ने अपनी जांच में ये पाया कि LANDER के DESIGN और ENGINE ASSEMBLY में भी कुछ CHANGES किए जाने चाहिए ताकि ये MAKE SURE किया जा सके कि धरती से लाखों किलोमीटर दूर होने के बावजूद भी चाँद कि सतह पर ये लैंडर सही सलामत लैंड करें, CHANDRYAAN 3 में इन सभी CHANGES को इम्प्लीमेंट किया गया है, जिसके चलते इसका landing sequence पहले कि अपेक्षा कई ज़्यादा Reliable बना हैं! “अपनी गलतियों से सिख लेकर आगे बढ़ना” ये एक कमाल कि नीति है जिसका असर इसरो के अमल में साफ झलकता है, आइये अब बढ़ते है आगे और एक नज़र ड़ालते है चन्द्रयान 3 के उद्देश्यों कि ओर :-
Chandrayaan 3 का उद्देश्य क्या है | Chandrayaan 3 Mission Objectives
ISRO कि ओर चन्द्रयांन 3 का मुख्य उद्देश्य :- चाँद पर एक सफल और सुरक्षित लैंडिंग बताया गया है, इसके अंतर्गत Isro अपनी highest TECHNICAL capabilities का इस्तेमाल करते हुए चाँद के South Pole पर एक Soft landing perform करने कि कोशिश करेगा, इस Primary objective के आलावा इस MISSION के अंतर्गत बहुत सी SCIENTIFIC RESEARCH और EXPERIMENTS को भी CARRYOUT किया जायेगा जिससे LUNAR EXPLORATION और INTERPLANETARY SCIENCES को एक शानदार BOOST मिलेगा, अपने predecessor MISSION कि ही तरह CHANDRYAAN 3 का भी अहम मकसद चाँद कि geochemistry को समझाना है |
इस कड़ी में चन्द्रयान 3 के साथ जा रहा विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ढेरों EXPRIMENTS PERFORM करेंगे, जिसमें photometrics और onboard sensors के इस्तेमाल से Lunar Soil का परिक्षण भी शामिल होगा, आज से करीब एक दशक पहले जब भारत ने अपने पहले Lunar mission चन्द्रयान 1 कि सहायता से चाँद कि सतह पर तरल पानी कि मौजूदगी का Confirmation किया था तो सब हैरान रह गए थे इस बार ISRO का प्लान और भी कुछ बड़ा करने का है, चन्द्रयान 3 अपने मुख्य उद्देश्यों में से एक Moon के Hydrometrics को Decode करना भी लेकर चल रहा है |
ऐसे में Orbiter कि अबतक कि Research से मिले Data को Further Base बनाकर Ground पर मौजूद Landers और Rovers Lunar soil और Rocks को Examine करेंगे जिससे हम उनमें मौजूद Water और कुछ Similar compounds को बारिकी से देख पाएंगे ये चाँद कि Geographical Composition और Chemistry को समझने कि ओर एक बड़ा और निर्णायक कदम होगा, जो आने वाले वक़्त में Lunar Colonialisation जैसे बड़े Goals को Serve करने में Complimentary साबित होगा!
इन भारी भरकम ज़िम्मेदारियों और करोड़ों लोगों कि अपेक्षाओं का बोझ अपने कंधों पर लिए चन्द्रयान 3 जल्द ही धरती से रवाना होगा, इससे पहले कि हम इसकी काबिलयतों का मूल्यांकन करें ये बेहद ज़रूरी होगा कि हम इसकी TECHNICAL SPECIFICATIONS और DESIGN पर भी एक नज़र डालें, Afterall किसी भी Space मिशन की कमायाबी या नाकामी के पीछे यहीं एक FACTOR तो ज़िम्मेदार होता हैं!
Chandrayaan 3 Main Components and Design
Isro का CHANDRYAAN 3 Majoraly तीन Components के साथ आता है जिसमें एक Lander एक Rover और एक Propulsion module शामिल होगा, पिछली दफा इस Propulsion module कि जगह पर एक ORBITER था जो फिलहाल चाँद कि Orbit में मौजूद है और बखूबी अपना काम अंजाम दे रहा है, ख़ैर इस Propulsion module का काम CHANDRYAAN 3 के Composite Spacecraft को Earth से Launch के बाद चाँद कि Orbit तक पहुँचाना होगा इसके बाद Lander Unit इससे Detach होकर चाँद कि सतह कि ओर Decent perform करेगी वहीं Propulsion module orbit में ही रहकर चाँद कि परिक्रमा करेगा साथ ही Lander और Ground Control के बिच Communication के लिए बतौर Relay भी काम आएगा,
अगर आप इसके Design को देखेंगे तो पाएंगे कि ये एक BOXY SHAPE का component है जिसके एक Side पर Onboard Computer और Communication Systems को Power देने के लिए Solar panels लगाए गए है वहीं Top पर एक Cyclinderical सा Structure देखने को मिलता है जो कि actual में Lander Unit के लिए एक Docking port के रूप में काम करेगा, इसके आलावा आप इसके Sides में ये Thrusters देख सकते है जो समय समय पर FIRE होकर इसकी दिशा और गति को नियंत्रित रखेंगे, इस Propulsion module का main काम Chandrayaan 3 के इस Composite Sturcutre को Launch के बाद Earth कि orbit से Moon कि orbit तक लेकर जाना है |
फिर ये अपने Secondary role को भी Serve करेगा जिसमें ये बतौर Rellay Communication Device orbit में रहकर Lander और Earth पर मौजूद Ground Station के बिच सम्पर्क स्थापित रखेगा, इस बिच एक Active Communication Maintain रखने के लिए IDSN यानि Indian Deep Space Network का इस्तेमाल किया जायेगा, इसके बाद बारी आती है इस मिशन के सबसे अहम Component विक्रम लैंडर कि |
ये लैंडर एक Box कि Shape में है, Moon के Surface पर एक Soft & smooth landing perform करने के लिए इसके बॉटम पर चार Legs भी installed है इसके आलावा ये लैस है Multiple Landing thrusters से जो decend के दौरान इसे एक Antigravity thrust देगा जो एक Soft landing के लिए बेहद ज़रूरी है, इसके आलावा इसमे वो तमाम Scientific payloads और Instruments भी मौजूद है जो Lunar Science को Perform करने में कारगर साबित होंगे
करीब साढ़े 7 टन वज़नी इस Lander में एक Safe landing perform करने के लिए एक दर्जन से ज़्यादा Components मौजूद है फिर चाहें वो Accelerometer, Altimeters, Doppler Velocimeter, Surface Proximity Sensors, Touch-down Sensors और 4 से भी ज़्यादा Diffrent Different Areas से View Offer करने वाले High resolution cameras जिनकी मदद से इस Lander कि एक Safe & sound landing make sure कि जा सकेगी.
बाद बाकी ये लैंडर प्रज्ञान रोवर के लिए एक Carrier vehicle के तौर पर भी काम करेगा क्योंकि All the Way Earth से मून कि Surface तक यही तो इस रोवर को अपने भीतर ले जाएगा, 26 किलो वजनी इस रोवर में कुछ Basic instruments और Power के लिए एक Solar panel मौजूद है, क्योंकि ये ISRO का पहला robotic rover है इसलिए फिलहाल इसे Demonstration phase में रखा गया हैं इसके तहत हम अपनी Technologies और Designs का Real life situations में Test और Examination कर पाएंगे!