शुक्र ग्रह यानी venus रात में हमारे आसमान में चाँद के बाद सबसे ज्यादा चमकने वाला ऑब्जेक्ट है | यह काफी हद तक हमारे ग्रह पृथ्वी के समान है जिसकी वजह से इके पृथ्वी का twin sister भी कहा जाता है | शुरू में माना जाता था की यहाँ पृथ्वी की तरह ही पानी से भरे महासागर , जंगल और जीवन मौजूद हो सकता है | पर जब शुरुआती space missions ने इस ग्रह का अध्यन किया तो पता चला की यह ऐसा बिलकुल नहीं था जैसा वैज्ञानिको ने सोचा था | बल्कि यह खतरनाक ज्वालामुखी से भरा हुआ एक नर्क है जो की हमारे सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह है | पर वैज्ञानिको का मानना है की यह ग्रह पहले ऐसा नहीं था , बल्कि venus ग्रह पर भी कभी विशाल पानी से भरे महासागर , जंगल और शायद जीवन मौजूद था | पर इसके साथ कुछ ऐसा हुआ जिसने इस ग्रह को हमेशा के लिए बदल कर रख दिया | जिसके बारे में जानेंगे हम आज के इस लेख में |
शुक्र ग्रह का जन्म और पृथ्वी से समानताये
सूर्य से दूसरे क्रम का ग्रह शुक्र रात के आसमान में चाँद के बाद दूसरी सबसे चमकदार और खूबसूरत चीज है। इसकी खूबसूरती के ही कारण ही इसे रोम की सौंदर्य और प्रेम की देवी ‘वीनस’ का नाम दिया गया।
शुक्र को अक्सर पृथ्वी का जुड़वा भी कहा जाता है क्योंकि इन दोनों का ही आकार, mass और density लगभग एक जैसा है और दोनों ही समान कक्षाओं में सूर्य के इर्दगिर्द चक्कर लगा रहें हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक दोनों का जन्म एक ही nebula और composition से हुआ है। चूंकि पृथ्वी और शुक्र की जड़ें एक ही हैं, इसलिए बीसवीं सदी के शुरुवाती दशकों में वैज्ञानिक को ऐसा लगता था कि जरूर पृथ्वी की तरह जीवन योग्य परिस्थितियाँ शुक्र ग्रह पर भी मौजूद होंगी।
मगर जब साठ और सत्तर के दशक में इस ग्रह की जांच-पड़ताल के लिए शुरू हुए अंतरिक्ष अभियानों के जरिए वैज्ञानिकों ने शुक्र का नजदीक से जायज़ा लिया तो उन्हें यह पता चला ” कि भले ही पृथ्वी और शुक्र की जड़ें एक ही रहीं हों, मगर मौजूदा रूप में ये दोनों एकदम अलग-थलग हैं। यूं कहें तो दोनों ग्रहों में समानताएं कम विषमताएं ज्यादा दिखाई देतीं हैं “
बाद में पता चला कि शुक्र पर जीवन पनपने की संभावना कम ही है। इसका वायुमंडल कार्बन डाइऑक्साइड से घिरा है, यहाँ सल्फ्यूरिक एसिड की बारिश होती है और इसकी सतह का तापमान बहुत ही ज्यादा तकरीबन 480 डिग्री सेल्सियस है। इसकी सतह का दबाव पृथ्वी से 90 गुना ज्यादा है। एक ओर शुक्र सूखा और दुर्गम है तो दूसरी तरफ हमारी पृथ्वी नम और जीवन से भरपूर!
पहले वैज्ञानिको को लगा जीवन से भरपूर है यह ग्रह
बहरहाल, जब 1978 में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का ‘पायनियर वीनस मिशन’ शुक्र की पड़ताल करने पहुंचा तो उसने पाया कि शुक्र की सतह पर महासागर मौजूद हो सकते हैं। वैज्ञानिकों ने इसकी पुष्टि के लिए कई और अंतरिक्ष अभियान शुक्र ग्रह पर भेजे और इनके जरिए इसकी सतह और वातावरण से जुड़े डेटा को एकत्रित किया।
” इससे शुक्र ग्रह के बारे में ऐसी तस्वीर उभरी कि यह पृथ्वी जैसा ग्रह भले ही शुरुवात में जीवन योग्य परिस्थितियों से संपन्न रही हो, मगर बाद में एक गर्म और नर्क के रूप में तब्दील हो गया “
शोध में हुआ चौकाने वाला खुलासा
पिछले महीने के आखिरी दिनों में स्विट्जरलैंड के जिनेवा में खगोलविदों के एक international group में शामिल नासा के माइकल वे और गोडार्ड इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस स्टडीज के एंथनी डेल जेनियो ने शुक्र ग्रह पर अतीत में जीवन योग्य परिस्थितियों की मोजूदगी के बारे में अपना शोधपत्र प्रस्तुत किया। उन्होंने 24 सितंबर, 2019 को कहा कि इस नए शोध से पता चलता है |
कि आज से तकरीबन 2 से 3 अरब साल पहले शुक्र पृथ्वी की तरह पानी के महासागरों , जंगलो और शायद जीवन से भरपूर ग्रह रहा होगा।
इसके अंतर्गत शोधकर्ताओं ने पाँच कम्प्यूटर simulation की एक श्रृंखला प्रस्तुत की, जिसमें यह दर्शाया गया था कि water coverage के विभिन्न स्तरों पर शुक्र का वातावरण कैसा रहा होगा या कैसे समय के साथ शुक्र ग्रह का वातावरण परिवर्तित हुआ होगा।
कभी जीवन से भरपूर था यह ग्रह
निष्कर्ष के रूप में सभी पांचों सिमुलेशंस एक ही बात की ओर संकेत देते हैं कि अतीत में तकरीबन 3 अरब साल पहले शुक्र ग्रह न्यूनतम 20 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम 50 डिग्री सेल्सियस तापमान के साथ एक stable atmosphere बनाने में सक्षम रहा होगा।
शोध यहाँ तक दावा करता है stable atmosphere के चलते यहाँ जीवन के पनपने योग्य परिस्थितियों मौजूद थी और शायद वहाँ पर microbial life भी मौजूद रहा होगा। सवाल यह उठता है कि अगर शुक्र पर एक समय जीवन के अनुकूल परिस्थितियां मौजूद थीं तो उसके साथ ऐसा क्या हो गया कि वह बेहद गर्म खतरनाक स्थान में तब्दील हो गया?
आज से करोड़ो साल पहले होगा यह तबाह
हालिया शोध के मुताबिक आज से तकरीबन 71.5 करोड़ साल पहले शुक्र ग्रह एक बेहद ही विशाल resurfacing event से होकर गुजरा | जिसकी वजह से घटनाओं की एक श्रृंखला के अंतर्गत ग्रीन हाउस गैसों जैसे कार्बनडाइऑक्साइड, मिथेन वैगरह का एक बड़ा विस्फोट हुआ। इस विस्फोट की घटना को ग्रह की चट्टानों या ज्वालामुखियों के तले में जमें ग्रीन हाउस गैसों ने अंजाम दिया, जिससे शुक्र ग्रह का जलवायु पूरी तरह से परिवर्तित हो गया।
शुक्र के वातावरण में 96 प्रतिशत कार्बनडाइऑक्साइड का प्रभुत्व है जिस कारण यहाँ लगातार सल्फ्यूरिक एसिड की बारिश, 322 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से विनाशकारी तूफान और बेहद ही गर्म atmosphere में परिवर्तित हो गया ।
यह सौंदर्य और प्रेम की देवी जलवायु परिवर्तन की वजह से एक जीते-जागते नर्क में तब्दील हो गई।
कही पृथ्वी का हाल भी ऐसा न हो जाये
अब ज़रा अपनी पृथ्वी के बारे में सोचिए, यहाँ के भी जलवायु व वातावरण में धीरे-धीरे बदलाव हो रहा है। इसके पीछे कोई प्राकृतिक कारण नहीं है बल्कि यह इंसानी करतूतों की बदौलत ही हो रहा है। हमें इस दिशा में जल्दी से कदम उठाने की जरूरत है ताकि जीवन से लहलहाते हमारे इस खूबसूरत ग्रह का हाल शुक्र जैसा न हो।
बहरहाल, यह नवीनतम शोध शुक्र और पृथ्वी ग्रह के तमाम समानताओं और असमानताओं को उजागर करता है और हमें यह एहसास कराता है की ” अगर हमने पृथ्वी ग्रह की मौजूदा स्तिथि में सुधर नहीं किया तो हमारा में हाल कही शुक्र ग्रह की तरह न हो जाये | धन्यवाद दोस्तों आपको यह लेख कैसा लगा हमें जरूर बताये “