अमेरिकी Space Agency NASA ने 5 August 2011 को हमारे सौरमंडल के सबसे विशालकाय ग्रह Jupiter का अध्यन करने के लिए Juno Spacecraft को Launch किया | यह Spacecraft कई आधुनिक Scientific Instruments और Cameras से लैस है जिसका मुख्य मकशद Jupiter ग्रह के Atmosphere , Gravity , Magnetic Field और उसके अद्भुत और विचित्र Moons का करीबी से अध्यन करना था |
Juno मिशन ने Jupiter ग्रह पर क्या खोजा | Nasa’s Juno Mission to Jupiter in Hindi
Juno Spacecraft 2016 में Jupiter ग्रह के Orbit में दाखिल हुआ जिसने अपनी खोजो से इस ग्रह और उसके Moons को देखने का हमारा नजरिया हमेशा के लिए बदल दिया | ऐसे में आज हम एक अनोखी यात्रा पर चलेंगे जहा हम Juno Spacecraft के Journey और उसके द्वारा किये गए खोजो के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे |
सौरमंडल का सबसे विशालकाय ग्रह Jupiter | Biggest Planet Jupiter
Jupiter हमारे सौरमंडल का सबसे विशालकाय ग्रह है | Jupiter ग्रह एक Gas Gaint है जो की मुख्य रूप से Hydrogen और Helium जैसे गैसों से मिलकर बना हुआ है | अभी तक किये गए अध्यनो से वैज्ञानिको को Jupiter ग्रह का चक्कर लगा रहे करीब 79 Moons का पता चला है जो की अपने आप में एक Mini Solar System का निर्माण करते है |
अध्यन के दौरान Jupiter ग्रह के चन्द्रमाओ में वैज्ञानिको को SubSurface Liquid Oceans, Volcanos का पता चला है जहा शायद किसी प्रकार का जीवन भी मौजूद हो सकता है |
यह इतना विशालकाय है की हमारे सौरमंडल में मौजूद दूसरे ग्रह , उनके Moons , Dwarf Planets और दूसरे Solar Bodies इसके अंदर आसानी से समा जाएंगे | अपने इतने विशालकाय आकर की वजह से हमारे सौरमंडल के निर्माण और उसे Shape देने में सूर्य के बाद सबसे बड़ा हाथ Jupiter ग्रह का ही रहा है | ऐसे में हम इस ग्रह के निर्माण , Moons और उसके Evolution का अध्यन कर हमारे सौरमंडल के बारे में काफी कुछ जान सकते है |
Jupiter ग्रह का पहला अध्यन | First Observation of Jupiter Planet
Jupiter ग्रह का सबसे पहला अध्यन 1970 के दशक में लांच किये गए Pioneer 10 , Pioneer 11 , Voyager 1 और Voyager 2 जैसे मिशनों ने अपने Flyby के दौरान किया | इन मिशनों ने Jupiter ग्रह और उसके Moons की कई रोचक तस्वीरें और जानकारिया वैज्ञानिको को भेजी, जिसके जरिये वैज्ञानिको को पहली बार इस ग्रह का इतना करीबी से अध्यन करने का मौका मिला |
NASA Galileo Mission to Jupiter
जिसके बाद 1989 में Jupiter ग्रह और उसके Moons का करीबी से अध्यन करने के लिए Galileo Mission को लांच किया गया | यह Jupiter ग्रह पर भेजा गया पहला Orbiter Mission था जिसका मुख्य मकशद इस ग्रह के Orbit में रहकर इसका करीबी से अध्यन करना था | करीब 6 सालो की लम्बी यात्रा के बाद Galileo Mission सन 1995 में Jupiter ग्रह के Orbit में दाखिल हुआ और करीब 8 सालो तक इस ग्रह और उसके Moons का अध्यन करता रहा |
इस Mission ने Jupiter ग्रह और उसके Moons – Europa के Subsurface Ocean, IO के Volcanos और Ganymede के Magnetic Field से जुड़े कई खुलासे किये जिसने इस Mini Solar System को देखने का वैज्ञानिको का नजरिया बदल दिया | और आखिरकार 2003 में इस Spacecraft का Mission पूरा हो गया जिसके बाद इसने Jupiter ग्रह के Atmosphere में प्रवेश कर अपने आप को नष्ट कर लिया |
पर इस Mission द्वारा जुटाई गयी जानकारियों ने वैज्ञानिको के सामने Jupiter ग्रह और उसके Moons को लेकर कई और ढेर सारे सवाल रख दिये | जिनके जवाब ढूंढने के लिए हमें Galileo Spacecraft से भी ज्यादा एक ऐसे Advance Spacecraft की जरुरत थी जिसमे ऐसे आधुनिक Scientific Instruments और Cameras मौजूद हो जो की Jupiter ग्रह के Atmosphere , Magnetic Field, Structure और उसके Moons का और भी करीबी और विस्तार से अध्यन कर सके | और यही से अस्तित्व में आया NASA का महत्वाकांक्षी Juno Mission |
जूनो मिशन की कहानी | Juno Mission Story
Juno Mission Launch
New Frontiers Mission के अंतर्गत 9 जून 2005 को Juno Mission को Select किया गया | पहले इस मिशन को 2009 में लॉन्च करने की योजना थी, लेकिन बजट की कमी के कारण इसकी Launching में 2 सालो की देरी हो गयी | दो साल के Delay के बाद आखिरकार Juno Space Probe को 5 अगस्त 2011 को Atlas V 551 रॉकेट की मदद से लॉन्च किया गया |
Juno Spacecraft का निर्माण Lockheed Martin द्वारा किया गया था, और इसे नासा के Jet Propulsion Laboratory के द्वारा Operate किया जा रहा है | इस Spacecraft का Launch Mass करीब 3,625 किलोग्राम था | Juno Outer Solar System में जाने वाला पहला ऐसा Spacecraft है जिसमें Energy के लिए Solar Panels का उपयोग किया गया है इसमें तीन बड़े Solar Panels लगाए गए है |
Juno Mission Instruments
Juno में लगे Instruments की बात करें, तो इसमें 9 Main Instruments लगाए गए हैं | वो 9 Instruments – Microwave Radiometer, Jovian Infrared Auroral Mapper, Magnetometer, Gravity Science, Jovian Auroral Distributions Experiment, Jovian Energetic Particle Detector, Radio and Plasma Wave Sensor, Ultraviolet Spectrograph और JunoCam है।
Juno Mission Journey to Jupiter
Launch के बाद October 2013 में Juno Spacecraft ने आखिरी बार पृथ्वी के Flyby को अंजाम दिया | इस Flyby का मकसद Gravity Assist के जरिये Juno Spacecraft के Speed को बढ़ाना था | Earth के Flyby को पूरा करने के बाद Juno Spacecraft की Speed 78,000 Miles से बढ़कर 93,000 Miles प्रति घंटा हो गयी और फिर इसके साथ ही इसने Jupiter ग्रह तक के अपने लम्बे सफर की शुरुआत की |
Juno को Jupiter ग्रह तक का सफर तय करने में 5 सालो का समय लग गया | और यह Spacecraft – 5 July 2016 में करीब 2.8 billion Kilometres की लम्बी यात्रा तय कर आखिरकार Jupiter ग्रह के Orbit में सफलतापूर्वक दाखिल हुआ |
Juno starts Orbiting Jupiter
Jupiter ग्रह के Orbit में दाखिल होने के बाद अगस्त 2016 में Juno ने Jupiter ग्रह का अपना पहला Flyby पूरा किया | First Flyby के दौरान Jupiter और Juno के बीच First Close Approach भी हुआ, जिस दौरान इन दोनों के बीच की दूरी केवल 4200 किलोमीटर थी |
अक्टूबर 2016 को Juno के 2nd Close Approach के दौरान इसमें कुछ गड़बड़ी हो गई, जिस कारण Close Approach के 13 घंटे पहले ही यह Safe Mode में चला गया | Plan के मुताबिक इसके 2nd Close Approach के बाद Juno के इंजन को Fire कर इसके Speed को बढ़ाकर इसके Trajectory को बदला जाना था |
इसे सफलतापूर्वक अंजाम देने के बाद Juno का Orbital Period – 53 दिनों से घटकर सिर्फ केवल 14 दिन का रह जाता | अगर यह सफल हो जाता तो Juno Spacecraft – 20 महीने के अंदर Jupiter ग्रह के 37 Orbital Flybys को पूरा कर सकता था |
लेकिन 19 अक्टूबर को इसके इंजन में आई गड़बड़ी की वजह से तय समय पर Juno के Main Engine को Fire नहीं किया जा सका | जिसके चलते 14 दिनों के Plan को Cancel कर 53 दिनों के Plan को ही Continue रखने का फैसला किया गया | Juno Spacecraft में आई तकनिकी खराबी के कारण 37 Orbits के बजाय 20 महीने के अंदर Juno Spacecraft – Jupiter ग्रह की सिर्फ 12 Orbits को ही पूरा कर पाया |
पर अच्छी बात ये रही कि Extreme Radiation और Harsh Environment के बावजूद Juno का System और सभी Instruments बेहतर स्थिति में थे, जिसको देखते हुए वैज्ञानिको ने Juno Mission के Life को जुलाई 2021 तक के लिए बढ़ा दिया गया | Juno का बढ़ाया गया Mission भी इस साल Complete हो चुका है। अब इसका Future क्या है? ये जानने से पहले हम उन चीजों के बारे में जानते हैं जिसकी खोज Juno ने की है।
Juno Discoveries about Jupiter and its Moons
Jupiter Orbit में दाखिल होने के एक महीने बाद ही Juno ने Jupiter के Stripes से जुडी एक दिलचस्प खोज की | इस खोज के अनुसार Jupiter की पहचान बन चुके ये Stripes दरअसल Jupiter ग्रह के Atmosphere में काफी दूर तक फैले हुए है | अगस्त महीने में Juno Spacecraft ने Jupiter ग्रह के North Pole की पहली तस्वीर भेजी और साथ ही हमें पहली बार Jupiter ग्रह के Rings का inside-view भी देखने को मिला |
Juno Mission ने हमें पहली बार Jupiter ग्रह में आने वाले Auroras का करीबी से अध्यन करने का मौका दिया जिनसे हमें यह पता चला की ये हमारे पृथ्वी ग्रह पर आने वाले Auroras से काफी अलग होते हैं | साथ ही इसने पहली बार Jupiter ग्रह के Internal Magnetic Field को detect किया जो की एक ऐतिहासिक खोज थी, क्योंकि हमने पहली बार पृथ्वी के अलावा किसी दूसरे ग्रह पर Internal Magnetic Field की खोज की थी |
जिसके बाद इस Mission ने Jupiter ग्रह पर होने वाले Lightning से जुडी कई महत्वपूर्ण जानकारिया धरती पर मौजूद वैज्ञानिको को भेजी, जिससे इस Phenomenon के बारे में वैज्ञानिक और बेहतर तरीके से अध्यन कर सके | इन सभी Discoveries के साथ ही Juno ने Jupiter ग्रह और उसके Moons की कई शानदार तस्वीरें भी ली, जिससे हमें धरती पर बैठे बैठर इस ग्रह और उसके चन्द्रमाओ का करीबी से अध्यन करने का मौका मिला |
July 2021 में Juno का Extended Mission भी Complete हो गया, जिसके बाद नासा ने Juno Mission का कार्यकाल सितम्बर 2025 तक के लिए बढ़ा दिया है | इसके Extended Mission के अंतर्गत अब Juno Spacecraft का मुख्य मिशन Jupiter ग्रह के Inner Moons Ganymede, Europa और IO के Flybys को अंजाम देना और इनके बारे में जरुरी तस्वीरें और Data जुटाना होगा |
Juno ने Jupiter ग्रह के सबसे बड़े चांद Ganymede का Flyby 7 जून 2021 को पूरा कर लिया है | इस Flyby के दौरान Ganymede और Juno के बीच Closest Approach की दूरी केवल 1038 किलोमीटर थी | Ganymede Flyby के दौरान इस चांद की Gravity की वजह से Juno का Orbital Period 53 दिन से घट कर 43 दिन हो चुका है |
Future of Juno Mission
Ganymede Mission के बाद Juno – Europa Moon के Flyby को सितम्बर 2022 तक अंजाम देगा | Europa के Flyby को सफलतापूर्वक अंजाम देने के बाद इसका Orbital Period घट कर केवल 38 दिनो का रह जाएगा। इस Flyby के दौरान Europa और Juno के बीच Closest Approach की दूरी सिर्फ 320 किलोमीटर रहने की संभावना है |
Europa के बाद दिसंबर 2023 में Juno – IO Moon के पहले Flyby को पूरा करेगा, और इन दोनों के बीच Second Flyby फरवरी 2024 में पूरा होने की उम्मीद है | इस Flyby के दौरान इन दोनों की Closest Approach 1500 किलोमीटर की होगी |
IO के Flyby को पूरा करने के बाद Juno का Orbital Period और कम हो कर केवल 33 दिनो का रह जाएगा।
नासा ने Juno Mission Complete होने के बाद इस Spacecraft को Destroy करने का एक Plan भी तैयार कर लिया है , जिसके अनुसार Mission Complete होने के बाद Juno को de – Orbit कर इसे Jupiter ग्रह के Atmosphere में भेज दिया जाएगा, जिससे यह Spacecraft केवल कुछ मिनटों में खुद ही जलकर Destroy हो जाएगा |
हालांकि इस Plan को 2018 में पहले Mission के Complete होते ही लागू किया जाना था, लेकिन इस Mission को दो बार आगे बढ़ाया जा चुका है, फिर भी ऐसी उम्मीद है कि 2025 में Mission Complete होने के बाद Juno को इसी Plan के तहत Destroy कर दिया जाएगा।
ऐसे में ख़त्म होने से पहले Juno Mission – Jupiter ग्रह और उसके Moons से जुडी और कई और खुलासे कर सकता है |आपको यह Article कैसा लगा हमें नीचे Comment कर जरूर बताये |