
जब हम अंतरिक्ष में रॉकेट को भेजते हैं तो उसमें इस्तेमाल होने वाले Fuel की मात्रा यानी Propellant ही इस बात को निर्धारित करता है कि रॉकेट अंतरिक्ष में कब तक यात्रा कर सकता है। आपके पास जितना ज्यादा Propellant और उसको कुशलतापूर्वक इस्तेमाल करने की क्षमता होगी उतनी ही गति से अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष में लंबी दूरी तक भेज सकते हैं। दरअसल, रॉकेट के भीतर एक भाग में Solid or liquid fuel को ऑक्सीजन की मौजूदगी में जलाया जाता है जिससे High Pressure पर गैस उत्पन्न होती है। यह गैस पीछे की ओर एक Narrow mouth से बहुत तेजी से बाहर निकलती है।
इसके फलस्वरूप जो प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है वह रॉकेट को High Speed से आगे की ओर ले जाती है। इसलिए अंतरिक्ष यान को डिज़ाइन करते समय ईंधन टैक को केंद्र में रखा जाता है।चूंकि Rocket या अंतरिक्षयान में सीमित मात्रा में ही Fuel को भरा जा सकता है, इसलिए उसके द्वारा अंतरिक्ष में तय की गई दूरी भी सीमित हो जाती है।

क्या है Solar Sail Technology | What is Solar Sail Technology
इस समस्या से निपटने के लिए वैज्ञानिक लंबे समय से सूर्य और अन्य तारों के Infinite radiation pressure से अंतरिक्ष यानों को अंतरिक्ष मे गति दिलाने का प्रयास कर रहें हैं। Radiation Pressure किसी सतह पर Electromagnetic radiation पड़ने से पैदा होने वाले दाब को कहते हैं। प्रकाश भी एक प्रकार का Electromagnetic radiation है, इसलिए किसी वस्तु पर प्रकाश के गिरने से भी उस वस्तु पर दबाव पड़ता है। हालांकि यह दाब कम शक्तिशाली होने के कारण Daily life में ज्यादा प्रभावी प्रतीत नहीं होता, लेकिन लंबे अंतराल पर इसका प्रभाव काफ़ी व्यापक हो सकता है। उदाहरण के लिए यदि Nasa द्वारा मंगल ग्रह पर भेजे गए वाइकिंग-1 और वाइकिंग-2 अंतरिक्ष यानों पर सौर किरणों द्वारा बनने वाले विकिरण दाब का हिसाब लगाकर यान की उड़ान को Favorable न किया जाता तो ये यान मंगल ग्रह पर पहुँचने की बजाय उससे 15,000 किलोमीटर दूर आगे अंतरिक्ष में निकल जाता।
वैज्ञानिक सूर्य के Radiation Pressure से अंतरिक्ष यानों को Solar Sail के जरिए अंतरिक्ष मे गति दिलाने का प्रयास कर रहें हैं। यह कुछ-कुछ वैसे ही है जैसे हम समुद्र में अपने नाव को गति देने के लिए वायुदाब का इस्तेमाल पाल लगाकर करते रहे हैं। वर्ष 1610 के आस-पास पहली बार जर्मन खगोल वैज्ञानिक जोहांस केप्लर द्वारा सूर्य के फोटॉन की ऊर्जा से अंतरिक्ष यात्रा की कल्पना की गई थी। इस प्रकार की संकल्पनाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए साल 1970 के आस-पास से Solar Sail के निर्माण के अनुसंधान पर विशेष ज़ोर दिया जाने लगा था।

Light Sail 2 महानतम खोजो में से एक | Light Sail 2 is One of the Biggest Discovery
हाल ही में ‘Light Sail-2’ को टाइम मैगजीन ने 2019 के महानतम आविष्कारों की सूची में जगह दी है। गौरतलब है कि अमेरिका की एक ग़ैर-सरकारी संस्था The Planetary Society ने Solar Light के प्रहार से चलने वाले ‘Light Sail-2’ नामक एक Solar Sail को अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक तैनात किया है और इसी के साथ सौर पाल की अवधारणा का Preliminary test शुरू हो गया है। यह मिशन प्राथमिक तौर पर तीन महीने तक सफलतापूर्वक चला है और अब Light Sail-2 एक साल तक पृथ्वी की परिक्रमा करेगा। इससे पहले जापान की अंतरिक्ष एजेंसी JAXA ने साल 2010 में पहले Light Sail का इस्तेमाल शुक्र ग्रह की जांच-पड़ताल के लिए भेजे गए IKAROS Mission में किया था; मगर यह अभियान पूरी तरह से सफल नहीं हो सका था।

कैसे काम करता है Light Sail | Hoe Light Sail Works
Light Sail-2 ने बगैर किसी Conventional fuel के इस्तेमाल के एपोजी को 7.2 किलोमीटर तक बढ़ा लिया है। Light Sail पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए जब सबसे दूर बिंदु पर पहुँचता है तो इस सबसे दूर के बिंदु को एपोजी कहते हैं। Light Sail-2 बॉक्सिंग रिंग के आकार का है और इसे पतली माइलर सामग्री से बनाया गया है। गौरतलब है कि Solar Sail को बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला पदार्थ किसी कागज से 40 से 100 गुणा पतले होते हैं, जो इसके ढांचे पर मजबूती से बंध जाते हैं।
Light Sail-2 सूरज के Photon Particles से ऊर्जा ग्रहण करता है जो कि Solar Sail की Mirror जैसी Reflective Surface से टकराकर वापस लौट जाते है। इसमें हर Photon का Momentum होता है और यह संवेग Photon के टकराने पर Solar Sail की परावर्तक सतह की ओर Move हो जाता है। इसका Mechanism कुछ इस तरह की है कि हर Photon अपने संवेग का दुगना संवेग Solar Sail को ट्रांसफर करता। इसी तरह से अरबो की संख्या मे Photon और Solar Sail से टकराने पर उसे पर्याप्त मात्रा मे Propulsion प्रदान करने मे समर्थ होते हैं।
अंतरिक्ष विज्ञान के जानकारों की माने तो यदि Solar Sail का विचार गति ले लेता है और सफ़ल सिद्ध हो जाता है तो यह अंतरिक्ष यानो के डिजाईन और निर्माण में मूलभूत क्रांतिकारी परिवर्तन होगा। और भविष्य के अंतरिक्ष यानों को दूसरे तारो और सौरमंडलो तक पहुंचाने में समर्थ होगा।