दोस्तों हमारे सूर्य के चारो ओर एक विशेष Bubble मौजूद है जो की इससे निकलने वाले Solar particles और plasma से मिलकर बना हुआ है | इसे heliosphere के नाम से भी जाना जाता है जिसे आप हमारे सौरमंडल की boundary भी कह सकते है | Heliosphere को पार करने के बाद Interstellar Space शुरू होता है | Interstellar Space दो तारो के बीच मौजूद खाली और ठंडी जगह होती है जहा इन तारो का कोई प्रभाव नहीं होता है | हम इस छेत्र का अध्ययन कर हमारे विशाल ब्रम्हांड और स्पेस के बारे में काफी कुछ जान सकते है |
आज तक के मानव इतिहास में केवल दो ही Spacecraft रहे है जिन्होंने हमारे सौरमंडल के boundary को पार कर सफलतापूर्वक Interstellar Space में प्रवेश किया है | इनमे से पहला था Nasa का voyager 1 जिसने 2012 में हमारे सौरमंडल को पार कर Interstellar space में प्रवेश किया था | वही करीब 6 साल बाद नवम्बर 2018 को इसके जुड़वाँ Voyager 2 ने आखिरकार हमारे सौरमंडल को पार कर Interstellar space में प्रवेश कर लिया | केवल कुछ सालो के अध्ययन के दौरान ही इन Voyager Missions ने हमारे सौरमंडल के boundary – heliosphere और Interstellar Space को लेकर कई चौकाने वाले खुलासे किये है जिन्होंने दुनियाभर के वैज्ञानिको को हैरत में डाला हुआ है | तो चलिए दोस्तों Voyager Missions के साथ Interstellar space के सफर में जहा हम जानेंगे इनके द्वारा किये गए अद्भुत खोजो के बारे में |
वायेजर मिशनों की शुरुआत | Voyager Mission Launch and Primary Mission
voyager 1 और Voyager 2 मिशनों को 1977 में launch किया गया था | दोनों ही मिशनों का मुख्य मकसद हमारे सौरमंडल के ग्रहो का grand tour करना था | जिनके बारे में तब तक हमारे पास बेहद ही कम जानकारी मौजूद थी | Voyager 1 ने अपने शुरुआती सफर के दौरान सफलतापूर्वक हमारे सौरमंडल के दो सबसे विशाल ग्रहो Jupiter और saturn का करीबी से अध्ययन किया |
वही voyager 2 ने भी इन ग्रहो का काफी करीबी से अध्ययन किया पर साथ ही इसने हमारे सौरमंडल के icegaints , Uranus और Neptune ग्रहो का भी करीबी से अध्ययन किया | जिसके साथ ही इन मिशनों का प्रारंभिक सफर पूरा हो चूका था | पर 1989 में इन दोनों ही Spacecraft ने Voyager Interstellar Mission के नाम से एक नए सफर की शुरुआत की | जिसके अंतर्गत उन्हें हमारे सौरमंडल के boundary यानी Heliosphere को पार कर दो तारो के बीच मौजूद खाली जगह यानी अनजान और रहस्यमयी Interstellar space में प्रवेश और उसका अध्ययन करना था |
वायेजर मिशनों ने छोड़ा हमारा सौरमंडल | Voyager Mission in Interstellar Space
Voyager 1 Mission ने सबसे पहले 2012 में हमारे सौरमंडल के boundary heliosphere को पार कर Interstellar space में प्रवेश किया था | इसने 121 astronomical units की दुरी पर heliosphere के southern hemisphere को पार किया था | वही इसके जुड़वाँ Voyager 2 को ऐसा करने में और 6 सालो का समय लग गया इसने नवम्बर 2018 में हमारे सौरमंडल के boundary को पार कर interstellar space में प्रवेश किया | इसने 119 astronomical units की दुरी पर हमारे heliosphere के northern hemisphere को पार किया था |
वैज्ञानिको के लिए Voyager 2 mission हमारे सौरमंडल और Interstellar space का अध्ययन करने के लिए काफी खास मिशन था | क्यूंकि इसने Voyager 1 मिशन के विपरीत हमारे सौरमंडल के boundary heliosphere को अलग जगह और अलग दुरी से पार कर Insterstellar space में प्रवेश किया था | साथ ही voyager 1 से विपरीत voyager 2 का plasma wave instrument सौरमंडल को पार करने के समय भी काम कर रहा था | जिसकी मदद से वैज्ञानिक interstellar space का और भी अच्छे तरीके से अध्ययन कर सकते थे |
सीधी भाषा में कहा जाए तो हम दोनों ही Voyager 1 और Voyager 2 missions द्वारा जुटाए गए data को एक दूसरे से compare कर हमारे सौरमंडल के heliosphere और Interstellar space के बारे में और भी अच्छे तरीके से जान सकते है | साथ ही हम यह भी जान सकते है की इनके द्वारा जुटाई गयी जानकारियों और behaviour , interstellar space के एक खास region की है या पुरे Interstellar space की |
वायेजर मिशनों ने Interstellar Space में क्या खोजा | What Voyager Missions Discovered about Heliosphere and Interstellar Space
इन मिशनों ने हमें पहली बार बताया की हमारे heliosphere के boundary में मौजूद solar particles कैसे interstellar space के साथ react या behave करते है | इन्होने सबसे पहली खोजा की interstellar magnetic field हमारे heliosphere के magnetic field के parallel है | और ये बेहद ही खास अंदाज़ में एक दूसरे के साथ contact करते है |
साथ ही इन मिशनों ने सबसे पहली बार Interstellar leakage को भी detect किया था | voyager 1 मिशन ने 2012 में heliosphere को पार करने से पहले 2 बार interstellar particles को detect किया था | वही voyager 2 ने इसके विपरीत heliosphere को पार करके ineterstellar space में प्रवेश करने के बाद भी कुछ मौको पर solar particles को detect किया था | जिसके बाद वैज्ञानिको ने अनुमान लगाया की Interstellar space में कई जगहों पर Interstellar leakage मौजूद है जहा से solar particles , interstellar space में प्रवेश कर रहे है और interstellar particles हमारे heliosphere में |
voyager 1 ने heliosphere को पार करते समय पता लगाया की interstellar space की plasma density वैज्ञानिको के अनुमान से कही ज्यादा है साथ ही यह काफी गर्म भी है जिसका मतलब कोई चीज है जो इन्हे compress कर रही है | करीब 6 साल बाद voyager 2 ने heliosphere को पार करते हुए भी यही detect किया था , जो की काफी अजीब था | वैज्ञानिक अभी भी इसके पीछे मौजूद कारणों का पता लगाने की कोशिश कर रहे है |
वायेजर मिशनों का भविष्य | Future of Voyager Missions
वर्तमान समय में Voyager 1 हमारी धरती से करीब 148 AU की दुरी पर मौजूद है वही इसका जुड़वाँ Voyager 2 हमसे 122 AU की दुरी पर मौजूद है | भली ही voyager mission अभी भी काम कर रहे है पार असल में इन्हे इतने लम्बे सफर के लिए design नहीं किया गया था | दोनों ही Spacecraft को ऊर्जा तीन Radioisotope thermoelectric generators यानी RTG से मिलती है | जो की plutonium 238 के decay से निकलने वाले heat को electricity में convert करते है |
पर समय के साथ इन spacecrafts का nuclear fuel ख़त्म होते जा रहा है और इनका electricity production capacity भी घटते जा रहा है ,जो की आने वाले समय में पूरी तरह electricity बनाना बंद कर देगा | जिसकी वजह से वैज्ञानिको ने बचे हुए Nuclear power को ज्यादा से ज्यादा समय तक चलाने के लिए दोनों ही Spacecrafts के heaters और दूसरे कम जरुरी instruments को बंद कर दिया है |
Voyager 2 के 10 में से 5 instruments को बंद किया जा चूका है वही Voyager 1 के 10 में से 6 instruments को बंद किया जा चूका है | पर अब ये मिशन अपने अंतिम दौर में पहुंच चुके है और इनका fuel 2025 तक पूरी तरह ख़त्म हो जाएगा | अर्थात Interstellar space का अध्ययन करने के लिए वैज्ञानिको के पास और 5 सालो का समय बचा हुआ है जिसके बाद ये Spacecrafts बिना किसी मानवीय मदद के दूर interstellar का अंतहीन सफर अकेले ही तय करेंगे | पर ये spacecrafts वर्तमान समय में जिस trajectory और speed में interstellar space का सफर तय कर रहे है | उसके हिसाब से उन्हें किसी नज़दीकी तारे तक पहुंचने में करीब 70,000 सालो का समय लग जाएगा |
Interstellar Space में अगला मिशन कौन सा होगा | Next Mission to Interstellar Space
voyager missions से अलग Pioneer 10 और Pioneer 11 missions भी जल्द ही Interstellar space में प्रवेश करने जा रहे है पर इन मिशनों से हमारा संपर्क टूट चूका है जिसकी वजह से इनके वर्तमान स्तिथि के बारे में हमारे पास कोई खास जानकारी मौजूद नहीं है | वर्तमान समय में हमारी धरती से सबसे ज्यादा दुरी पर मौजूद Operational Spacecraft नासा का New Horizons है जो की अभी हमसे करीब 46 AU की दुरी पर मौजूद है |
मौजूदा समय में यह मिशन dwarf planet Pluto का flyby पूरा करने के बाद Neptune ग्रह से परे मौजूद दूसरे Kuiper Belt Objects का अध्ययन कर रहा है | पर मौजूदा परिस्तिथियों को देखते हुए वैज्ञानिको के अनुसार इसका fuel धरती से 90 AU की दुरी तक पहुंचने तक ख़त्म हो जाएगा | पर अगर सबकुछ ठीक रहा है तो यह Spacecraft भी 2045 तक हमारे Solarsystem के boundary – heliosphere को पार कर interstellar space में दाखिल हो जाएगा |
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