आज हम भले ही कई प्रकाशवर्ष दूर मौजूद आकाशगंगाओ , सौरमंडलो और ग्रहो के बारे में बाते करते हो और एक दिन वहा जाने कि ख्वाइस रखते हो | पर हमारा घर यानी हमारा सौरमंडल आज भी कई रहस्यों और अजूबो से भरा हुआ है जिसे पूरी तरह जानने और समझने में ही हमें हज़ारो सालो का समय लग जाएगा | समय समय पर वैज्ञानिक हमारे सौरमंडल और उसके ग्रहो को लेकर कई ऐसे चौकाने वाले खुलासे कर देते है जो वैज्ञानिको को फिर एक बार नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर देता है | और ऐसा ही एक खोज हाल ही में शनि ग्रह को लेकर किया गया है वैज्ञानिको ने इस ग्रह के करीब 20 नए चन्द्रमाओ कि खोज कि है | पर आखिर इन चन्द्रमाओ कि खोज कैसे कि गयी और कैसे ये चन्द्रमा आने वाले भविष्य में हमारे सौरमंडल को पूरी तरह बदल कर रख देंगे | यह सब जानेंगे हम आज के इस लेख में |
वैज्ञानिको ने शनि ग्रह के 20 नए चन्द्रमाओ की खोज की | 20 New Moons of Saturn
हाल ही में खगोल विज्ञानियों ने हमारे सौर मंडल में शनि ग्रह के इर्द-गिर्द चक्कर लगाते 20 नए चंद्रमाओं (Moons) की खोज की है। इन नए चंद्रमाओं को मिलाकर अब शनि ग्रह (Saturn) के पास कुल 82 चांद हो गए हैं।
इसके पहले तक सबसे ज्यादा 79 चांद होने का ताज सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति (Jupiter) के पास था। अब शनि के 20 नए चंद्रमाओं की खोज के साथ शनि ने प्राकृतिक उपग्रहों के मामले में बृहस्पति से आगे हो गया है।
इसी के साथ हमारे सौरमंडल में विभिन्नक ग्रहों के चंद्रमाओं की कुल संख्या 210 हो गई है।
कैसे खोजा गया शनि ग्रह के नए चन्द्रमाओ को | How New Moons of Saturn Discovered
खगोल विज्ञानियों की एक टीम ने शनि के नए उपग्रहों की खोज हवाई द्वीप में स्थित Subaru Telescope की मदद से की है। इस खोज को अमेरिका के Carnegie Institution for Science के अंतरिक्ष विज्ञानी स्कॉट एस. शेफर्ड के नेतृत्व में खगोल विज्ञानियों ने अंजाम दिया।
शनि के चारो तरफ चक्कर लगाने वाले इन नए चंद्रमाओं का Radius तकरीबन 5 किलोमीटर है। इनमें से तीन चांद शनि के अपने अक्ष पर घूर्णन की दिशा में उसकी परिक्रमा कर रहे हैं, जबकि 17 उसकी विपरीत दिशा में चक्कर लगा रहे हैं।
शोधकर्ताओं के मुताबिक तीन चांद जो शनि की दिशा में ही उसकी परिक्रमा कर रहे हैं, उनमें से दो चाँद तीसरे की तुलना में इस ग्रह के नजदीक हैं। इन दो चंद्रमाओं को शनि की परिक्रमा करने में दो साल का समय लगता है, जबकि तीसरे को बहुत ज्यादा दूरी होने की वजह से तीन साल का समय लगता है। शनि की विपरीत दिशा में चक्कर लगा रहे बाकी 17 चंद्रमाओं को भी शनि की परिक्रमा पूरी करने में तीन साल का वक्त लगता है।
“इस खोज का खुलासा International Astronomical Union के Minor Planet Center द्वारा किया गया”
इस खोज के लिए साल 2004 से 2007 के बीच जटिल आंकड़ों के विश्लेषण के लिए सशक्त कंप्यूटर प्रणाली का उपयोग किया गया जिसमें सुबारू टेलिस्कोप की भी सहायता ली गई। संभावित चंद्रमाओं की पहचान के लिए नए डेटा का पुराने डेटा के साथ मिलान किया गया और तब जाकर एस. शेफर्ड और उनकी टीम ने 20 नए चंद्रमाओं की कक्षाओं को सुनिश्चित करने में सफलता प्राप्त की।
एस. शेफर्ड के मुताबिक “यह पता करना बेहद मजेदार था कि शनि ग्रह चांद की संख्या के मामले में सौर मंडल का सरताज बन गया है”
बृहस्पति ग्रह एक मामले में खुद को सांत्वना दे सकता है कि उसके पास अभी भी सौर मंडल के सभी ग्रहों में सबसे बड़ा चांद है। बृहस्पपति ग्रह का चांद गैनिमेड तकरीबन-तकरीबन पृथ्वी के आकार का आधा है। खगोल विज्ञानियों ने शनि ग्रह का चक्कर लगाने वाले 5 किलोमीटर के व्यास वाले और बृहस्पति का चक्कर लगाने वाले 1.6 किलोमीटर जितने छोटे चांदों का पता लगा लिया है।
भविष्य में इनसे छोटे खगोलिय पिंडों के बारे में पता लगाने के लिए और बड़ी दूरबीनों की जरूरत होगी। शनि के चारों ओर चक्कभर लगाने वाले छोटे-छोटे चांदों की संख्या 100 से भी अधिक हो सकती है, जिनकी खोज अभी जारी है।
सौरमंडल को समझने में काफी कारगर साबित होगा यह खोज
हालिया खोजे गए सभी चांद उन चीजों के अवशेष से निर्मित हैं जिनसे ग्रहों का निर्माण हुआ। ऐसे में इनका अध्ययन करने से खगोल विज्ञानियों को ग्रहों के निर्माण के बारे में नई जानकारियाँ मिल सकती हैं।शोधकर्ताओं के मुताबिक हो सकता है कि ये छोटे-छोटे चांद किसी बड़े चांद के टूटने से बने हो।
एस. शेफर्ड के मुताबिक “ये छोटे चांद अपने मुख्य चांद से टूट कर भी शनि की परिक्रमा करने में सक्षम हैं, जो अहम बात है” शोधकर्ताओं ने अध्ययन से पता लगाया है कि शनि की उल्टी दिशा में परिक्रमा कर रहे चांद अपने अक्ष पर उतना ही झुके हुए हैं, जितना इनसे पहले खोजे गए चांद हैं। इससे इस संभावना को और बल मिलता है कि ये सभी चांद एक बड़े चांद से टूट कर बने हैं।
शेफर्ड कहते हैं, इस तरह के बाहरी चंद्रमाओं का समूह बृहस्पति के आसपास भी दिखाई देता है। यह इस बात का संकेत करते हैं कि शनि ग्रह के orbit में किसी विशाल चन्द्रमा या Space body का किसी दूसरे विशाल Space body से टक्कर हुआ था | बहरहाल Carnegie Institution for Science ने इन नए चंद्रमाओं को नाम देने के लिए एक ऑनलाइन कॉन्टेस्ट की शुरुआत की है।
इनके नाम उनके वर्गीकरण के आधार पर तय किए जाने हैं। वैज्ञानिक यह भी जानने में लगे हैं कि क्या सौरमंडल से बाहर के किसी अन्य ग्रह के इर्द-गिर्द परिक्रमा कर रहे इससे भी अधिक चांद मौजूद हैं। पर तब तक चन्द्रमाओ कि संख्या के मामले में शनि ग्रह हमारे सौरमंडल का सरताज बना रहेगा |