वर्तमान परस्थितियों के मद्देनजर महज 200 सालों के भीतर ही पृथ्वी से मानव जाति का वजूद हमेशा के लिए मिट सकता है ऐसे में अगर हमें मानव जाति को इस विशम परिस्तिथि में भी बचाये रखना है तो हमें अंतरिक्ष में दूसरे ग्रहो या उनके चन्द्रमाओ पर मानव बस्तिया बसानी होगी । ऐसे में मंगल ग्रह हमारे सौरमंडल में पृथ्वी से परे मानव बस्तिया बसाने के लिए सबसे उपयुक्त जगहों में से एक है |पर वैज्ञानिको का मानना है की मंगल ग्रह पर मानव बस्तिया बसाना इतना आसान नहीं होने वाला है| हम इंसानो को मंगल ग्रह पर मानव बस्तिया बसाने के लिए सबसे पहले उसके दोनों चन्द्रमाओ पर इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना होगा, जिसके बाद जाकर हम मंगल ग्रह पर Space Colony तैयार कर सकते है | पर आखिर कैसे हम मंगल ग्रह पर मानव बस्तिया बसा सकते है और कैसे मंगल ग्रह के दोनों चन्द्रमा इस प्रक्रिया में हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होंगे | यह सब जानेंगे हम आज के इस लेख में |
नि:संदेह भविष्य में हम पृथ्वीवासियों द्वारा रिहायशी कॉलोनी बनाने के लिए सबसे उपयुक्त पात्र हमारा पड़ोसी ग्रह मंगल है। मनुष्य को मंगल की सतह पर भेजना वैज्ञानिकों के सबसे जटिल और महत्वाकांक्षी लक्ष्यों में से एक है। हालांकि यह किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं है। सबसे पहले हमें पृथ्वी के Low Earth orbit में पहुँचना होगा, उसके बाद चंद्रमा पर सफल लैंडिंग करानी होगी |
फिर चाँद से मंगल की ओर जाने और फिर वापिस आने के लिए लाखों किलोमीटर का सफर कम से कम 2 साल में पूरा होगा , यह बेहद ही लम्बा और थका देने वाला सफर होगा ।
लेकिन ऐसी दो जगहें हैं जो हमें पृथ्वी से मंगल की ओर पहुंचाने में अहम पड़ाव साबित हो सकते हैं। ये दोनों ही पृथ्वी और मंगल के बीच के बीच एक Stepping stone साबित हो सकते है। ये Base Camp हमें और हमारे संशाधानों को मंगल की कक्षा में अचानक प्रवेश से उसके गुरुत्वाकर्षण बल से बचा सकते हैं।पृथ्वी से मंगल पर पहुंचने के ये दो पड़ाव हो सकते हैं – मंगल ग्रह के इर्द गिर्द परिक्रमा कर रहे इसके दो चाँद, Deimos और Phobos।
कैसे खोजे गए मंगल ग्रह के दोनों चन्द्रमा | How Mars Moons Phobos and Deimos are discovered
काफी पहले से वैज्ञानिक यह मानते आए थे कि मंगल ग्रह का कोई भी प्राकृतिक उपग्रह या चाँद नहीं है। ग्रहों के गति के तीन प्रसिद्ध नियमों Laws of Planetary Motion को देने वाले खगोलशास्त्री जोहांस केप्लर ने सबसे पहले इस लाल ग्रह के चारों तरफ परिक्रमा करते दो चंद्रमाओं के होने का सुझाव दिया था। अमेरिकी खगोलशास्त्री आसफ हॉल ने साल 1877 में मंगल ग्रह का अध्ययन करके Deimos और Phobos की खोज की। इन दो छोटे पिंडों को लाल ग्रह की चकाचौंध से छिपा दिया था।
डिमोस का व्यास (Diameter) 13 किलोमीटर है, जबकि फोबोस का व्यास 22 किलोमीटर है । गौरतलब है कि हाल तक डिमोस सौरमंडल का सबसे छोटा चाँद माना जाता था |
मंगल ग्रह की विशेषताए जो इसे बनाती है खास | Why Mars is Humans Next base
मंगल ग्रह और पृथ्वी में कई समानताएं हैं। हालांकि मंगल एक शुष्क और ठंडा ग्रह है, लेकिन इसमें वे तमाम तत्व मौजूद हैं जो इसे जीवन के अनुकूल बनाने में सक्षम हैं, जैसे कि पानी, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन वैगरह। हालांकि पृथ्वी का जुड़वा समझे जाने वाले शुक्र ग्रह की आंतरिक संरचना पृथ्वी से काफी मिलती-जुलती है, लेकिन जब बात जीवन योग्य परिस्थितियों की हो तो मंगल अनोखे रूप से सर्वाधिक उपयोगी और उपयुक्त ग्रह है।
मंगल अपनी धुरी पर लगभग पृथ्वी जितने ही समय में 24 घंटे 39 मिनट और 35 सैकिण्ड में घूमता है।
मंगल पर पृथ्वी के समान ऋतु चक्र होता है। पृथ्वी की तरह मंगल पर भी वायुमंडल मौजूद है, हालांकि यह बहुत पतला है। अब तक मंगल पर कुल 18 अंतरिक्ष अभियान (Space missions) भेजे गए हैं, जिनमे से सिर्फ 9 ही सुरक्षित रूप से इसकी सतह पर उतरे हैं।
मंगल ग्रह पर लैंडिंग के लिए इसके दोनो चंद्रमा, फोबोस और डिमोस एक अनोखा विकल्प मुहैया कराते हैं। मंगल ग्रह की सतह से पृथ्वी पर सीधे जाने के बजाय, हम इंसान इन चट्टानी चंद्रमाओं पर एक Space Station स्थापित कर सकते हैं जो की मंगल ग्रह पर उतरने से पहले एक Base कैंप होगा । ताकि मंगल की सतह पर मनुष्य को उतारने के गंभीर और सुरक्षित प्रयास के लिए जा सके।
साल 2015 में नासा के तीन इंजीनियरों ने ‘मंगल पर मानव मिशन भेजने के लिए एक Minimal Architecture को प्रस्तावित किया। उन्होने यह सुझाव दिया कि मंगल पर इंसान को भेजने के लिए चार चरणों (Steps) की एक प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए। सबसे पहले आधारभूत ढांचा ( Basic Infrastructure) तैयार करने के लिए फोबोस पर एक मानव मिशन भेजा जाएगा। उसके बाद एक महीने के लिए अंतरिक्षयात्री सतह के नीचे जाएंगे। फिर एक साल का लंबा अभियान चलाया जाएगा। और आखिर में, इंसान मंगल पर एक स्थायी उपस्थिति (Permanent presence) लिए कदम रखेगा।
फोबोस पर जाने के लिए स्पेस लॉन्च सिस्टम के चार रॉकेटो की जरूरत होगी। पहले तीन रॉकेट जिनमें एक आपूर्ति (Supplies), दूसरा फोबोस को निवास योग्य (Habitable) बनाने के लिए, और तीसरा अंतरिक्ष यात्रियों के घर वापसी के लिए एक वाहन (Vehicle) लेकर जाएगा। चौथा रॉकेट मंगल पर 4 अंतरिक्ष यात्रियों को एक ओरियन कैप्सूल के जरिए ले जाएगा।
अंतरिक्ष यात्री लगभग 500 दिनों के लिए फोबोस स्टेशन पर रहेंगे, फोबोस पर विज्ञान के प्रयोग (Experiments) करेंगे। फोबोस मिशन से सीखे गए सबक के आधार पर, मंगल पर वास्तविक लैंडिंग के लिए नासा और छह स्पेस एजेंसीज अपने लॉन्च सिस्टम को लॉन्च करेगी।
आखिर में, चार यात्रियों के एक चालक दल (Crew) को लॉन्च किया जाएगा , वह फोबोस स्टेशन की यात्रा करेगा और फिर मंगल पर उतरने की तैयारी करेगा। दो अंतरिक्ष यात्री मंगल पर लैंडिंग करेंगे जबकि अन्य दो अंतरिक्ष यात्री फोबोस पर बने रहेंगे।
दुनियाभर की स्पेस एजेंसी लगे हुए है प्रयास में | Space Agencies will send missions to mars and it’s moons
अंदाजा है कि मंगल की सतह पर 2030 या 2040 के दशक में पहला इंसान दस्तक देगा।
2024 में, जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (Jaxa) ने फोबोस और डिमोस की यात्रा करने के लिए Martian Moons Exploration मिशन शुरू करने की योजना बनाई है। Martian Moons Exploration फोबोस की सतह पर उतरेगा और वहाँ नमूने (samples) इकट्ठे करेगा और 2029 तक धरती पर वापस लौटेगा।
कुछ अंतरिक्ष यात्रियों ने यह भी सुझाव दिया है कि मंगल से पहले नासा को फोबोस पर अंतरिक्ष यात्रियों को उतारना चाहिए। नासा 2030 तक एक मानव मिशन भेजने की तैयारी में है। हालांकि यह बहुत ही अधिक चुनौतीपूर्ण काम है। बहरहाल, मनुष्य मंगल पर कब और कैसे पहुंचेगा इसका जवाब आने वाला भविष्य ही बताएगा
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