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सौरमंडल को पार करने वाला अगला मिशन (Next Mission to cross Solar system Hindi)

In this article we will discuss about the new horizons and pioneer missions who will cross our solar system after the voyagers mission.

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दोस्तों Interstellar Space दो तारो के बीच मौजूद बेहद ही खाली, ठंडी और वीरान जगह होती है जहा किसी भी तारे या Space Body का कोई प्रभाव नहीं होता है | अभी तक मानव इतिहास में केवल 5 ही Spacecraft ऐसे है जिन्हे Interstellar Probe का दर्जा मिला है जिनमे से दो Spacecrafts ने सफलतापूर्वक हमारे सौरमंडल के Boundary – heliosphere को पार कर Interstellar Space में प्रवेश कर लिया है | जिनमे से पहला था Nasa का Voyager 1 Spacecraft जिसने अगस्त 2012 में हमारे सौरमंडल को पार कर interstellar space में प्रवेश किया था |

सौरमंडल को पार करने वाला अगला मिशन (Next Mission to cross Solar system Hindi)

जिसके करीब 6 साल बाद , दिसंबर 2018 में इसका जुड़वाँ Voyager 2 , हमारे सौरमंडल को पार कर Interstellar Space में प्रवेश करने वाला दूसरा Spacecraft बना | पर आखिर इसके बाद क्या , हमारा कौनसा Spacecraft भविष्य में हमारे सौरमंडल को पार कर Interstellar Space में प्रवेश कर सकता है | और इसे ऐसा करने में इसे कितने सालो का समय लग सकता है यह सब जानेंगे हम आज के इस लेख में |

Solar System and Planets
Solar System and Planets

 

 

 

सौरमंडल को पार कैसे करे | Escape Velocity of Solar System

सूरज हमारे सौरमंडल में मौजूद सबसे बड़ा Space Object है जिसमे हमारे सौरमंडल का 99.8 प्रतिशत Mass मौजूद है | जिसकी वजह से सूर्य हमारे पूरे Solar System को control करता है | कोई भी Space body जो कि हमारे सौरमंडल में मौजूद है वह सूर्य के Gravitational Force से बंधा हुआ होता है | चाहे हम बात करे सभी planets की , asteroid की या बाहरी छेत्र में मौजूद icy comets कि , सभी space bodies सूर्य के Gravitational force की वजह से इसका चक्कर लगाते रहते है |

Parker Solar Probe
Parker Solar Probe

जिसके कारण कोई भी Space object जो कि हमारे सूरज से दूर जाने कि कोशिश करता है उसे इसका gravitational force अपनी ओर खीचने लगता है | उस Space object कों सूरज के Gravitational force से बाहर जाने के लिए एक ख़ास Escape velocity कि जरुरत होती है जो कि उसके mass और speed के ऊपर depend करता है |

और इसी वजह से किसी भी Spacecraft को हमारे सौरमंडल के Boundary – Heliosphere को पार करने के लिए एक ख़ास गति कि जरुरत होती है | कोई भी spacecraft इस गति को बिना पार किये हुए हमारे सौरमंडल को पार नहीं कर सकता |

Our Solar System
Our Solar System

 

 

 

Solar System Escape Velocity और सूरज से दुरी

अगर हम हमारे सूरज के Escape Velocity की बात करे तो यह इसके Surface पर 618 kilometer per second होती है | अर्थात कोई भी space object जो कि हमारे सूर्य के surface पर मौजूद है उसे इसके Gravitational force से बाहर जाने के लिए 618 kilometer per second कि speed से move करना होगा | पर जैसे जैसे सूरज से हमारी दूरी बढ़ती जाती है वैसे वैसे Escape velocity कम होती जाती है |

सूर्य से करीब 1 AU कि दूरी पर हमारी धरती के orbit में मौजूद Space object को सूर्य के Gravitational force को पार करने के लिए 42 kilometer per second कि speed से Move करना होगा |

Solar System Boundary Heliosphere
Solar System Boundary Heliosphere

पर यह Escape Velocity घटते घटते सूर्य से लगभग 100 astronomical units कि दूरी पर घटकर 4.21 kilometer per second यानी करीब 15,000 kilometer per hour हो जाती है | Interstellar space में प्रवेश करने वाले voyager मिशनों ने सफलतापूर्वक इस Escape velocity को पार कर लिया था |

वायेजर मिशनों के अलावा Pioneer 10 , Pioneer 11 और New Horizons ही ऐसे मिशन है जो कि हमारे सौरमंडल से बाहर जाने वाले trajectory में आगे बढ़ रहे है ,और उनके पास सूर्य के escape velocity को पार करने लायक जरुरी speed मौजूद है |

Voyager Probe
Voyager Probe

Voyager 1 and Voyager 2 Mission to Cross Our Solarsystem

Voyager 1 और Voyager 2 द्वारा जुटाए गए आकड़ो के अनुसार हमारे सूर्य से 120 astronomical units कि दूरी पर हमारे सौरमंडल का boundary यानी Heliosphere ख़त्म हो जाता है और Interstellar space की शुरुआत होती है | Heliosphere हमारे सौरमंडल के चारो ओर मौजूद एक bubble की तरह है जो की इससे निकलने वाले charge particles से मिलकर बना हुआ है |

यह हमारे सौरमंडल के shield की तरह काम करता है जो की दूसरे तारो और आकाशगंगाओ से आने वाले खतरनाक high energy particles को हमारे सौरमंडल में आने से रोकता है |

Interstellar Probes
Interstellar Probes

Voyager मिशन जब हमारे सौरमंडल को पार कर रहे तब उनके particle instruments ने इन्ही high energy particles को detect किया | जिससे वैज्ञानिको ने पता लगाया की इन मिशनों ने आखिरकार हमारे सौरमंडल को पार कर Interstellar space में प्रवेश कर लिया है | वही इसके अलावा भविष्य में Pioneer 10 , Pioneer 11 और New Horizons मिशन हमारे सौरमंडल को पार कर Interstellar space में प्रवेश कर सकते है जिनके बारे हम आगे चर्चा करेंगे |

Nasa Pioneer Mission
Nasa Pioneer Mission

 

 

Nasa Pioneer 11 and Pioneer 12 Missions

वायेजर मिशनों के बाद हमारे सौरमंडल को पार करने वाला अगला मिशन Pioneer 11 हो सकता है | Pioneer 11 मिशन को 1973 में launch किया गया था | इसका मुख्य उद्देश्य solar wind , asteroid belt के साथ ही jupiter और saturn ग्रह का करीबी से अध्ययन करना था | इसने 1974 को jupiter और 1979 में saturn ग्रह को पार किया |

पर 1995 में जब यह हमारे सौरमंडल के बाहरी छेत्र में मौजूद था तब हमारा इससे संपर्क टूट गया | जिसकी वजह से वैज्ञानिको को इसके actual location और इसके मौजूदा स्तिथि के बारे में कोई पक्की जानकारी नहीं है | पर उनके अनुमान के अनुसार वर्तमान समय में यह हमारी धरती से करीब 100 AU कि दूरी पर मौजूद हो सकता है

Pioneer 11 Probe
Pioneer 11 Probe

Pioneer Mission Distance From Sun and Interstellar Space

यह लगभग 2.3 AU per year कि गति से आगे बढ़ रहा है | ऐसे में अगर Voyager मिशनों द्वारा जुटाए गए आकड़ो से यह मान लिया जाए कि हमारे सौरमंडल कि boundary यानी heliosphere 120 AU तक फैला हुआ है | तो ऐसे में Pioneer 11 Spacecraft आने वाले करीब 8 सालो में यानी 2027 तक हमारे सौरमंडल को पार Interstellar space में प्रवेश कर सकता है |

पर हमारे सौरमंडल का heliosphere हमेशा fix नहीं रहता, यह हमारे सूर्य के 22 सालो के solar cycle के साथ ही 2 से 3 AU तक घटता और बढ़ता रहता है | ऐसे में कुछ भी पक्के तौर पर कह पाना काफी मुश्किल है |

Pioneer 10 Probe
Pioneer 10 Probe

वही इसके जुड़वाँ Pioneer 10 मिशन को 1972 में launch किया गया था | यह asteroid belt को पार कर Jupiter ग्रह और उसके moons का अध्ययन करने वाला पहला Spacecraft बना | इसने 1973 को Jupiter ग्रह को पार कर दूर सौरमंडल और heliosphere का सफर शुरू किया |

यह उस समय तक हमारे सौरमंडल के boundary समझे जाने वाले Neptune ग्रह को पार करने वाला पहला man made object बना | पर 2003 में जब यह हमारी धरती से करीब 80 AU की दूरी पर मौजूद था तब electric power ख़त्म हो जाने की वजह से हमारा इससे संपर्क टूट गया | जिसकी वजह से हमे यह पता नहीं है की वर्तमान समय यह हमसे कितनी दूरी पर मौजूद है |

Pioneer 10 in Interstellar Space
Pioneer 10 in Interstellar Space

पर वैज्ञानिको के अनुमान है की यह वर्तमान समय में हमसे 123 AU की दूरी पर मौजूद है और करीब 2.5 AU per year की गति से आगे बढ़ रहा है |जिसका मतलब यह है की यह Voyager 1 मिशन के बाद हमारी धरती से सबसे ज्यादा दूरी पर मौजूद spacecraft है | पर voyager और pioneer 11 मिशनों से विपरीत इसे heliosphere के tail की तरफ भेजा गया है |

जहा heliospere का head – 120 AU की दूरी तक फैला हुआ है , वही इसका tail करीब 220 AU कि दूरी तक फैला हुआ हो सकता है | ऐसे में इसे हमारे सौरमंडल के boundary – heliosphere के tail को पार करने में और करीब 38 सालो का समय लग जाएगा | यानी यह सन 2057 में सौरमंडल को पार कर interstellar space में प्रवेश कर सकता है |

New Horizons Probe
New Horizons Probe

 

Nasa New Horizons Mission to Pluto

इसके बाद आता है NASA का New horizons मिशन ,जिसे 2006 में america से launch किया गया था | करीब 9 सालो कि लम्बी यात्रा करने के बाद इस मिशन ने 2015 में dwarf planet pluto के flyby को पूरा किया | जिस दौरान इस मिशन ने इस dwarf planet से जुड़े हुए कई अद्भुत और चौकाने वाले खुलासे किये , जिसने pluto को दिखने का वैज्ञानिको का हमारा नजरिया हमेशा के लिए बदल दिया |

पर अभी इस spacecraft का मिशन पूरी तरह खत्म नहीं हुआ था ,अपने primary मिशन को पूरा करने के बाद इसे Kuiper belt में मौजूद एक Space object – Ultima thule का अध्ययन करने का काम सौपा गया | january 2019 में यह मिशन इस रहस्यमयी kuiper belt object के करीब से होकर गुजरा जिस दौरान इसने इससे जुड़े हुए कई अहम् जानकारिया जुटाई |

Nasa New Horizons
Nasa New Horizons

 

New Horizons Mission Distance From Sun and Interstellar Space

इस spacecraft में अभी भी काफी fuel बचा हुआ है , जो कि करीब 2030 तक काम कर सकता है | जिसकी वजह से यह आने वाले भविष्य में ऐसे ही और kuiper belt objects के flyby को अंजाम दे सकता है | वर्तमान समय में यह हमारी धरती से करीब 43 AU कि दूरी पर मौजूद है और यह लगभग 3.1 AU कि गति से आगे बढ़ रहा है |

ऐसे में यह आने वाले करीब 24 सालो में यानी सन 2043 तक हमारे सौरमंडल को पार कर Interstellar space में प्रवेश कर सकता है | इस मिशन में Voyager मिशनों कि उपेक्षा काफी उन्नत intruments मौजूद है ऐसे में सौरमंडल को पार करने तक अगर यह मिशन सही तरीके से काम करता रहा तो यह Interstellar space से जुड़े हुए कई अहम् सवालो का जवाब ढूंढने में वैज्ञानिको कि मदद कर सकता है |

Oort Cloud
Oort Cloud

पर कुछ वैज्ञानिको का मानना है कि heliosphere असल में हमारे सौरमंडल कि boundary नहीं है बल्कि इससे भी परे icy bodies और comets कि एक विशाल disk मौजूद है जिसे oort cloud के नाम से जाना जाता है | यह disk हमारे सूर्य से करीब 2000 AU से लेकर कुछ light years कि दूरी तक फैली हो सकती है |

पर अभी तक oort cloud के बारे में वैज्ञानिक कि जानकारी लगभग न के बराबर है , और अभी तक इन objects को सीधे तौर पर खोजा भी नहीं गया है |

Icy comets in oort Cloud
Icy comets in oort Cloud

पर जिस तरह से Icy comets समय समय पर हमारे inner solar system में दाखिल होते रहते है , उससे वैज्ञानिको ने अनुमान लगाया है कि ये icy bodies , Oort cloud में मौजूद होते है और हमारे सूरज के ग्रेविटी कि वजह से कई बार उसकी ओर खींचे चले आते है | ऐसे में अगर इसे हमारे सौरमंडल कि boundary मान लिया जाए, तो किसी भी इंसानी मिशन को सही तरीके से हमारे सौरमंडल को पार कर interstellar space में प्रवेश करने में लाखो सालो का समय लग सकता है |

Universe Hindi

Geetesh Patel is a Science enthusiast, he has a successful running youtube channel with over 1 Million Subscriber. And he Owns Universe Hindi and other Blogs and Websites.

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