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तारों के बीच से आया दूसरा मेहमान | Second Interstellar Object 2I/Borisov Hindi

2I/Borisov, is the first observed rogue comet and the second observed interstellar interloper after ʻOumuamua.[9][10] It was discovered by the Crimean amateur astronomer and telescope maker Gennadiy Borisov on 29 August 2019.

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आज से करीब 2 साल पहले 19 अक्टूबर 2019 को वैज्ञानिको को हमारे सौरमंडल का विचरण कर रहे एक बेहद ही अजीबोगरीब Space object का पता चला | शोध में पाया गया की, यह अजीब पिण्ड हमारे सौरमंडल का नहीं था बल्कि यह किसी दूर तारे से हमारे सौरमंडल में आया था | यह पहली बार था जब हमारे telescopes ने इस तरह के किसी Space object को detect किया था | जिसके वजह से यह आज भी वैज्ञानिको के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है | पर हाल ही में वैज्ञानिको ने ऐसे ही एक और space object की खोज की है | जिसे अब तक का खोजा गया दूसरा Interstellar object माना जा रहा है | पर आखिर यह रहस्यमयी पिण्ड आया कहा से है क्या यह aliens द्वारा भेजा गया कोई spacecraft है और क्यों वैज्ञानिक इन interstellar objects पर खास रूचि दिखाते है , यह सब जानेंगे हम आज के इस लेख में |


OumuamuaOumuamua Artistic Impression

जब वैज्ञानिको को मिला पहला Interstellar Object

वैज्ञानिकों को आए दिन अंतरिक्ष में कुछ न कुछ नई खगोलीय घटनाएँ या रहस्यमयी space object देखने को मिल जाते हैं।

और आज से तकरीबन दो साल पहले 19 अक्टूबर, 2017 को हवाई द्वीप में लगे एक दूरबीन से वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में ऐसे ही एक बेहद ही रहस्यमय पिंड को देखा था।

वैज्ञानिक उसे देखकर हैरान रह गए उन्हें बिलकुल भी समझ में नहीं आया कि आखिर वह चीज थी क्या और अचानक कहां से आई? तेजी से आगे बढ़ते इस पिंड का अवलोकन वैज्ञानिकों ने जब अन्य दूरबीनों से किया तो उन्हें इसमें कुछ और अजीबोगरीब बातें नजर आई। एक तो इसकी रफ्तार बहुत ज्यादा थी और दूसरा, इसकी चमक हर सात घंटे बीस मिनट में दस गुनी होकर वापस पुरानी स्थिति में लौट आ रही थी। इसकी लंबाई, इसकी मोटाई से दस गुना ज्यादा थी जो की बेहद ही अजीबो गरीब था |

ऐसा अब तक सौरमंडल के किसी भी पिंड के साथ नहीं देखा गया था। वैज्ञानिक उस खगोलीय पिंड का वर्गीकरण करने में कुछ दिनों तक असमर्थ रहे।

चूंकि ऐसा विचित्र व्यवहार अब तक सौरमंडल के किसी भी पिंड के साथ नहीं देखा गया था इसलिए बाद में काफी शोध और खोज के बाद वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि वह हमारे सौर परिवार का सदस्य नहीं था, बल्कि यह दूर तारों यानी ‘इंटरस्टेलर स्पेस’ के बीच से आया हुआ मेहमान था। इस अजीबोगरीब पिंड को यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई के खगोल विज्ञानियों ने पहली बार देखा था।

इसलिए उन्होंने इसका नामकरण भी वहीं की भाषा में किया- Oumamua। हवाई भाषा में इस शब्द का अर्थ होता है- बहुत दूर से पहली बार आया मेहमान।


2i/borisovFirst Images of 2I/Borisov

कैसे खोजा गया दूसरा Interstellar Object- 2I/Borisov

Oumuamua की खोज के करीब 2 साल बाद हाल ही में वैज्ञानिको को एक और बड़ी सफलता हाथ लगी है | वैज्ञानिको को इंटरस्टेलर स्पेस से आए हुए एक दूसरे space object का पता चला है। दुनियाभर के खगोल विज्ञानियों के बीच यह Object फिर एक बार चर्चा का विषय बना हुआ है |

30 अगस्त, 2019 को शौकिया खगोल विज्ञानी गेनाडी बोरिसोव ने MARGO Observatory क्रीमिया से, धूमकेतु यानी comet जैसी दिखने वाली एक वस्तु की खोज की।

यह ऑब्जेक्ट काफी अजीब था , जिसके पास एक छोटी-सी गैस और dust की पूंछ भी मौजूद है। बोरिसोव ने इस खोज को अपने द्वारा बनाए गए एक 0.65 मीटर के दूरबीन के जरिए अंजाम दिया था।

एक हफ्ते तक दुनिया भर के शौकिया और पेशेवर खगोल विज्ञानियों के बीच चले विचार-विमर्श के बाद इंटरनेशनल एस्ट्रोनोमिकल यूनियन ने इस ऑब्जेक्ट को अध्ययन-अवलोकन के बाद इसे एक इंटरस्टेलर ऑब्जेक्ट के रूप में मान्यता दी है। इस दूसरे इंटरस्टेलर ऑब्जेक्ट को 2आई/बोरिसोव नाम दिया गया है।


कई दिनों तक दुनियाभर के वैज्ञानिक रहे हैरान

शुरुवात में कनफ्यूजन यह था कि आखिर यह object एक comet है या एक asteroid ? या फिर हमारे सौरमंडल के बाहर से आया aliens का कोई spacecraft ? शुरुवाती निरीक्षण से पता चला है कि यह एक धूमकेतु यानि comet है। धूमकेतु हमारे सौरमण्डल के ही सदस्य हैं। अन्य सदस्यों की तरह ये भी सूर्य की परिक्रमा करते रहते हैं। धूमकेतु धूल और गैस के बर्फीले पिंड होते हैं।

इन्हे अक्सर dirty snowball कहा जाता है क्योंकि जब ये सूर्य के समीप से गुजरते हैं तो सूर्य के ताप से बेहद गर्म हो जाते हैं और इससे बर्फीली गैसें तथा धूलकण बाहर निकलने लगती हैं।

मगर इस मामले में Oumuamua के साथ कुछ अलग ही हुआ था उसके सूर्य के बहुत पास पहुंच जाने के बाद भी उसमें धूल और गैस तो क्या, धुंध तक का कोई लक्षण नहीं दिखाई दिया था। सूरज के समीप से गुजरते समय इसकी रफ्तार अचानक बहुत बढ़ गई – लगभग 95 हजार किलोमीटर प्रति घंटा से 3 लाख 15 हजार किलोमीटर प्रति घंटा!

वैज्ञानिकों का अनुमान है कहीं 2आई/बोरिसोव के साथ भी ऐसा न हो क्योंकि फिलहाल इसकी रफ्तार 32 किलोमीटर प्रति सेकंड है।


Artist Impression of 2I/Borisov

किस तारे से आया है यह मेहमान ?

खगोल विज्ञानियों का मानना है कि सूर्य के अलावा अन्य तारों के भी ग्रह, उपग्रह, क्षुद्र ग्रह और धूमकेतु हो सकते हैं। अपने सौरमण्डल के ग्रहों, उपग्रहों, क्षुद्रग्रहों, धूमकेतुओं आदि के बारे में भले ही हम काफी कुछ जानते हैं लेकिन सौरमंडल के सबसे दूर स्थित एक विशाल और गोलाकार बादल, जिसे ओर्ट क्लाउड कहा जाता है, को अभी हम बहुत कम जान पाए हैं।

वैज्ञानिकों के अनुसार 2I/Borisov oort cloud को पार करके तारों के बीच के रिक्त स्थान यानि interstellar space से हमारे सौरमंडल में आया है। अपने तरह का ऐसा बाहरी पिण्ड हमने दूसरी बार देखा है।

एक अनुमान है कि औसतन ऐसा एक पिंड हर साल भीतरी सौरमंडल यानी मंगल और सूर्य के बीच किसी भी जगह से होकर गुजरता होगा | 

लेकिन इस पर नजर रखने और इसका हिसाब-किताब लगाने की कोई व्यवस्था अभी तक हमारे पास नहीं थी। oumuamua लाइरा तारा-मण्डल के वीगा तारे की ओर से आया था जबकि बोरिसोव के आने का फिलहाल कोई आता-पता नहीं चला है। अगर हमें यह पता चल भी जाता है कि यह किस दिशा से आया है |

तो भी किसी दिशा से आने का अर्थ यह नहीं कि उसका जन्म वहीं उसी तारे या समीप के किसी ग्रह से हुआ हो। इसलिए हम दिशा जानकर भी बोरिसोव का जन्म और उसके सफर के बारे में पता नहीं लगा सकते |


Near-Earth asteroids Near-Earth asteroids

जल्द ही हमें छोड़ कर चला जाएगा यह मेहमान

दो साल में ही सौरमंडल के बाहर, सितारों की दुनिया से दूसरे मेहमान का अपने इलाके में आना एक मायने में खुशी की बात है तो दूसरे मायने में चिंता का सबब भी है। क्या ये पहले भी आते थे और बिना दर्ज हुए चुपचाप निकल जाते थे? या हमारा सूरज अभी आकाशगंगा के किसी ऐसे इलाके में है, जहां इधर-उधर भटक रहे छोटे पिंडों की भरमार है?

इनमें दूसरी वाली आशंका काफी समय से जताई जा रही है। जो उल्कापिंड और धूमकेतु सौरमंडल के भीतर से आते हैं- फिर चाहे उनके आने की जगह कितनी भी अजीब क्यों न हो- उनसे निपटने का कुछ न कुछ उपाय किया जा सकता है।

दूसरी बार धरती से एक ऐसे पिंड की पहचान की गई है जो पक्के तौर पर सौरमंडल के बाहर से आया है।

यही नहीं, यह भी पक्का हो गया है कि करोड़ों साल से यह तारों के बीच की विशाल खाली जगहों में घूम रहा था। इस पिंड की अजीब बनावट, इसकी तेज गति और इसका जन्मस्थल- ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो तारों के बीच के रिक्त स्थान से आया यह मेहमान खगोलविज्ञानियों की माथापच्ची के लिए छोड़ गया है। धन्यवाद दोस्तों आपको यह Article कैसा लगा हमें जरूर बताये |

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Geetesh Patel is a Science enthusiast, he has a successful running youtube channel with over 1 Million Subscriber. And he Owns Universe Hindi and other Blogs and Websites.

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