दोस्तों खोज करना मानव जाति की एक फितरत होती हैं| जिसके लिए वो किसी भी हद तक जाने को तैयार रहता है| और मनुष्य समय के साथ अपनी खोज का दायरा बढ़ाता ही रहता है पर क्या हो अगर हम ऐसे चीज़ की खोज करे जिसका कोई अंत ही नहीं है | जी हां दोस्तों मैं हमारे ब्रहांड के बारे में बात कर रहा हूँ जिसका कोई अंत ही मौजूद नहीं है| और जिसमे अरबों- खरबो तारे ,करोड़ो आकाशगंगाओं मौजूद है| और मानव सभ्यता की इस खोजी फितरत ने जन्म दिया मानव इतिहास के अब तक के सबसे महान अंतरिक्ष अभियान यानि वायेजर को |
वायेजर मिशन की शुरुआत और ऐतिहासिक सफर | Voyager Mission and it’s historic journey
वायेजर मिशन का प्रक्षेपण | Launch of Voyager Missions
दोस्तों बात करीब 41 साल पहले की है| वर्ष 1977 के अगस्त और सितम्बर महीने में अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने दो अंतरिक्ष यान धरती से रवाना किये थे| जिन्हे Voyager-1 और Voyager-2 नाम दिया गया था| वायेजर-2 को 20 अगस्त को अमेरिकी अंतरिक्ष सेंटर कैंप कनावराल से छोड़ा गया था | वही वायेजर-1 को 5 सितम्बर को रवाना किया गया था |
इनका मुख्य उद्देशय सौरमंडल के ग्रहो के Jupiter , Saturn , Naptune और Uranus से जुडी महत्वपूर्ण जानकारिया जुटाना था | इनके लांच के लिए साल 1977 को चुनने का मुख्य कारण था Jupiter, Saturn, Uranus, और Neptune ग्रहो का एक Favourable allignment.
वायेजर मिशन के साथ जोड़ा गया गोल्डन रिकार्ड | Golden Record Attached with Voyager Missions
इन दोनों यानो के साथ एक golden record भी अटैच किया गया है | golden record एक gold ploted copper disc है जो एक phonograph record है जिसमे मानव इतिहास के अब तक के कुछ महत्वपूर्ण Images और Sound Record किये गए है |
जो मानव इतिहास के अब तक के सफर और हमारे Earth के Diversity और culture को दर्शाते है |वर्तमान समय में वायेजर-1 हमारे सौरमंडल को छोड़कर Interstellar space में पहुंच चूका है
अभी यह हमारे पृथ्वी से करीब 21 अरब किलोमीटर दूर मौजूद है| यह दूरी इतनी ज्यादा है कि वायेजर-1 से धरती पर संदेश आने जाने में करीब 36 घंटो का समय लग जाता है | वो भी तब जब ये रेडियो संकेत, 1 सेकंड में 3 लाख किलोमीटर तक की दुरी तय करते है, यानि लगभग प्रकश की गति से |
वही वायेजर-2 हमारे पृथ्वी से 17 अरब किलोमीटर दूर मौजूद है और यह वर्तमान समय में Interstellar Space में प्रवेश कर चूका है | जिसके साथ ही यह Interstellar Space में प्रवेश करने वाला दूसरा मानवीय मिशन बन चूका है | यह दुरी इतनी ज्यादा है कि वायेजर-2 से धरती तक संदेश आने करीब 30 घंटो का समय लग जाता है |
वायेजर मिशन और एक लम्बा सफर | Voyager Missions and a Long Journey
करीब 41 साल बाद भी ये दोनों यान अच्छे से काम कर रहे है और मानवता की निशानी दूर ब्रम्हांड तक पहुंचाने का काम कर रहे है | पर अब समय के साथ ये दोनों बूढ़े हो चले है | इनकी ताकत बेहद कमजोर हो चली है और इनकी तकनीक भी अब बेहद पुरानी हो चुकी है | आज वायेजर यानो से आने वाले संदेशो को पकड़ने के लिए नासा को काफी मशक्कत करनी पड़ती है |
जिसके लिए नासा ने दुनिया भर में बहुत सारे रेडियो संकेत सेंटर बना रखे है | इस अभियान से शुरुआत से जुड़े हुए वैज्ञानिक एड स्टोन कहते है कि आज वायेजर, ब्रम्हांड में इतनी दूर है जहाँ शुन्य, अँधेरे और सर्द मौहोल के सिवा कुछ नहीं है |
वो बताते है कि वायेजर अभियान के डिज़ाइन पर 1972 में काम शुरू किया गया था |इस अभियान से जुड़े वैज्ञानिक बताते है कि वायेजर यानो में ग्रोमोफोन या कहे golden record लगाने का उद्देश्य एक आशा थी |
“आशा ये है की धरती के आलावा ब्रम्हांड में कही जीवन अवश्य है | यात्रा करते करते जब किसी और सभ्यता को हमारा वायेजर यान मिले, तो उसे मानवीय सभ्यता की एक झलक इन ग्रामोफ़ोन रिकॉर्ड के जरिये मिले “
यानि वायेजर सिर्फ एक अंतरिक्ष अभियान नहीं, बल्कि सुदूर ब्रम्हांड को भेजा गया मानवता का संदेश भी है | ये ग्रामोफ़ोन तांबे के डिस्क से बने हुए है | जो आने वाले करीब एक अरब सालो तक सही सलामत रहेंगे | इस दौरान अगर वायेजर, किसी सभ्यता के हाथ लग गया जो ब्रम्हांड में कही बसा हुआ है | तो इन ग्रामोफ़ोन रिकॉर्ड के जरिये उन्हें मानवता के होने का, और उसके प्रगति का संदेश मिलेगा |
वायेजर मिशन और बृहस्पति ग्रह | Voyager and Jupiter Planet
लांच के 18 महीने बाद यानि 1979 को वायेजर-1 और वायेजर-2 ने Jupiter यानि बृहस्पति ग्रह के बारे में जानकारियाँ जुटाना शुरू किया |
दोनों यानो ने बृहस्पति ग्रह कि बेहद ही साफ़ और दिलचस्प जानकारिया भेजी | वायेजर यानो ने कई अनसुलझे रहस्यों के भी जवाब दिए | जैसे, वायेजर अभियान से पहले माना जाता था कि केवल धरती पर ही ज्वालमुखी मौजूद है पर वायेजर यानो द्वारा भेजी गयी जानकारियों से पता चला कि बृहस्पति ग्रह के चन्द्रमा पर भी ज्वालमुखी मौजूद है |
नासा के सीनियर वैज्ञानिक एड स्टोन का कहना है कि वायेजर अभियान ने सौरमंडल को लेकर हमारे तमाम ख्याल गलत साबित कर दिए | पहले हमें लगता था कि केवल धरती पर ही सागर मौजूद है |
पर वायेजर ने हमें बताया कि बृहस्पति के चन्द्रमा यूरोपा पर भी मोठे बर्फ के परत के नीचे विशाल सागर मौजूद है | वायेजर यानो ने शनि ग्रह के बारे में भी कई चौकाने वाले खुलासे किये |
वायेजर मिशन और शनि ग्रह | Voyager and Saturn Planet
उसने शनि ग्रह के छल्लो यानि Rings की कई तस्वीरें भेजी और हमे बताया कि शनि के उपग्रह Titan में hydrocarbon के सागर मौजूद है जो ethane और methane से मिलकर बने हुए है | वायेजर अभियान के जरिये हमें शनि के छोटे से चन्द्रमा Enceladus के बारे में कई मुख्य जानकारियों के बारे में पता चला था |
आज अगर सौर -मंडल में जीवन की सबसे अधिक संभावना कही मौजूद है तो वह शनि के चन्द्रमा Enceladus पर ही है | वायेजर यानो से ही हमें पता चला कि शनि ग्रह के चंद्रमाओ में अपार संभावनाएं छुपी हुई है | जिसके लिए हमे नए अभियान भेजने की जरुरत है |
वायेजर मिशन और वरुण और अरुण ग्रह | Voyager and Neptune and Uranus Planets
नवंबर 1980 में वायेजर-1 ने शनि से आगे का सफर शुरू किया | जिसके करीब नौ महीने बाद वायेजर-2 ने भी सौरमंडल के दूर के ग्रहो की पड़ताल शुरू की | सन 1986 में वायेजर-2 uranus ग्रह के करीब पहुँचा |
जिसने पहली बार इस ग्रह की इतनी साफ़ तस्वीरें और कई महत्वपूर्ण जानकारिया हमे भेजी | Uranus को पार कर voyager-2 1989 में Nepture ग्रह के पास पहुँचा | जिसने इस ग्रह के बारे में कई चौकाने वाले खुलासे किये | voyager-2 ने neptune के चन्द्रमा triton के बारे में भी कई खुलासे किये | और हमे सबसे पहली बार पता चला कि triton नाम के चन्द्रमा पर nitrogren के गीजर मौजूद है |
अपनी इस लंबी यात्रा में वायेजर यानो ने हमारे सौरमंडल और ग्रहो से जुडी कई महत्वपूर्ण जानकारियों से हमे अवगत कराया | और सौरमंडल और ग्रहो को देखने का हमारा नजरिया हमेशा के लिए बदल दिया | वायेजर यान मनुष्य के खोजी प्रवित्ती का सबसे बड़ा उदहारण है जो आने वाले कई सालो तक मानवता का संदेश दूर अनंत ब्रम्हांड तक पहुंचाता रहेगा |
वायेजर और दूसरे मिशन | Voyager and other Space Missions
वायेजर यानो द्वारा किये गए खोज के बुनियाद पर ही बाद में कई महत्वपूर्ण अंतरिक्ष अभियान शुरू किये गए | जैसे शनि ग्रह के लिए cassini -huygens अभियान भेजे गए | और वही बृहस्पति ग्रह के लिए Galileo और Juno जैसे अभियान भेजे गए |
इन दोनों ग्रहो को प्रमुखता देने का सबसे बड़ा कारण है इनके चन्द्रमा, जो कि मानव जाति के लिए अपार संभावनाओं से भरे हुए |
इन दोनों ग्रहो के बारे में जानकारिया जुटा कर हम सौरमंडल के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारिया जुटा सकते है | क्योकि सौरमंडल में बनने वाले ये सबसे शुरुआती ग्रह थे | मानव इतिहास में कुछ गिने-चुने अभियान ही हुए है जिससे हमे इतनी सारी जानकारियां प्राप्त हुई है | आज चालीस वर्ष बाद तकनीक ने काफी तरक्की कर ली है | ऐसे में ये यान अब पुराने हो चले है |
वायेजर मिशन के तकनीक | Voyager Mission Technology
वायेजर विश्व के पहले ऐसे अंतरिक्ष अभियान थे जिनका नियंत्रण comoputer के हाथ में था | आज इतने सालो बाद भी ये दोनों ही यान खुद से अपना सफर तय करते है | अपनी पड़ताल करते है और जरुरत पड़ने पर अपना backup systum भी चालू करते है | वायेजर यानो को बनाने में इस्तेमाल हुई तकनीक हम आज भी इस्तेमाल करते है |
आज के mobile phone और cd players , वायेजर में इस्तेमाल हुई coding system technique का इस्तेमाल करते है | आज के समय में smartphone में तस्वीरें प्रोसेस करने की जो तकनीक इस्तेमाल की जाती है वो वायेजर यानो के विकास के दौरान ही खोजी गयी थी |
वैसे तो अपने लम्बे सफर के दौरान वायेजर यानो ने कई महान और न भुला पाने वाले क्षण दिए है | पर वायेजर अभियान का सबसे महान पल उस वक्त आया था जब 14 फरवरी 1990 को इसने अपने कैमरे धरती की तरफ घुमाये थे | उस दौरान पुरे सौरमंडल और ब्रम्हांड में धरती सिर्फ एक छोटी सी नीली प्रकाश जैसी दिख रही थी |
वायेजर मिशन और इंटरस्टेलर स्पेस | Voyager missions in interstellar Space
अभियान से जुड़ी वैज्ञानिक एमिली लकड़ावाला कहती है कि पुरे ब्रम्हांड में यह एक छोटी सी नीली रंग की टिमटिमाहट ही वो एक ऐसी जगह है जहाँ हम जानते है की जीवन मौजूद है | वो कहती है कि “अगर भविष्य में किसी खगोलीय घटना से धरती पर से जीवन समाप्त हो गया | ऐसे में वायेजर यानो के जरिये हमारी सभ्यता की निशानिया सुदूर अनंत ब्रम्हांड में बची रहेगी “
2013 में वायेजर-1 अंतरिक्ष यान सौरमंडल से बाहर, सुदूर ब्रम्हांड में अपनी एकाकी यात्रा में निकल गया | आज यह यान गुप्त अँधेरे में अपना एकाकी सफर कर रहा है जहा अँधेरे और ठंड के आलावा कुछ नहीं है | पर अपने अंतिम समय में भी यह कभी कभी सुदूर ब्रम्हांड की अनदेखी तस्वीरें हमे भेजता है | और हाल में ही वायेजर-2 यान भी हमारे solar system को छोड़कर सुदूर ब्रम्हांड के अपने एकाकी सफर में निकल गया है |
वायेजर मिशनो का भविष्य | Future of Voyager Missions
इन दोनों यानो को V के shape में earth से traject किया गया था | जो कि दो अलग- अलग star system में जाकर मानवता का संदेश देंगे |
दोनों ही अंतरिक्ष यानो में molecular battery लगे हुए है | और जल्द ही इन batteries से electicity बनाना बंद हो जायेगा | हर साल इन batteries से चार बार कम बिजली बनता है |
वायेजर अभियान के programme manager सूजी डाड कहती है कि हमे बेहद ही सावधानी से वायेजर अभियान को जारी रखना है | इसके पुराने पड़ चुके यंत्र बंद किये जा रहे है और दोनों यानो के कैमरे भी बंद किये जा चुके है | क्योंकि सुदूर अंतरिक्ष में चुप अँधेरे के आलावा देखने को कुछ नहीं है | electricity बचाकर वायेजर यानो को सर्द अंतरिक्ष में गर्म बनाये रखा जा रहा है |
आने वाले दस वर्षो में दोनों ही अंतरिक्ष यानो को बंद करना होगा | यह मानवता के लिए सबसे दुखद पलो में से एक होगा | हालांकि तब तक ये दोनों ही यान अपनी बेहद ही दिलचस्प जिंदगी का सफर पूरा कर चुके होंगे |दोनों ही अंतरिक्ष यान आने वाले कई सालो तक अंतरिक्ष में हमेशा ही मौजूद रहेंगे |
शायद किसी और सभ्यता को मानवता के ये दूत मिल जाये फिर वो इन यानो में लगे ग्रामाफोन record के जरिये मानवता का संदेश पढ़ सकेंगे | वायेजर अभियान के जरिये 1977 की दुनिया अंतरिक्ष में हमेशा के लिए अमर रहेगी | दूसरे शब्दों में क़हे तो वायेजर अभियान ने मानवता को हमेशा के लिए अमर कर दिया |